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पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा गुरु तेग बहादुर जी का 350वां शहादत दिवस : सरदार कुलविंदर सिंह

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नई दिल्ली, 12 सितंबर (khabarwala24)। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर स्थित डीआरएम कार्यालय में शुक्रवार को नवनियुक्त रेलवे सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में शताब्दी वर्ष के मौके पर अलग-अलग जगहों से विशेष स्मृति रेलगाड़ियां चलाए जाने पर चर्चा हुई।

बैठक के बाद, नॉर्दर्न रेलवे बोर्ड के सदस्य सरदार कुलविंदर सिंह ने आईएनएस से बात करते हुए बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस को पूरी श्रद्धा के साथ मनाना है।

उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को गुरु साहिब की शिक्षाओं और उनके सर्वोच्च बलिदान से अवगत कराना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

कुलविंदर सिंह ने कहा कि वह जल्द ही केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर कई महत्वपूर्ण सुझाव साझा करेंगे।

उन्होंने कहा कि सुझाव में गुरु तेग बहादुर जी के जीवन से जुड़ी कहानियों और उनके श्लोकों को देशभर के सभी रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में प्रदर्शित किया जाए। शताब्दी वर्ष के मौके पर अलग-अलग जगहों से विशेष स्मृति रेलगाड़ियां चलाई जाएं।

कुलविंदर ने कहा कि हरियाणा, पटना और हजूर साहिब के सभी रेलवे स्टेशनों पर पंजाबी भाषा में साइन बोर्ड लगाए जाएं ताकि सिख तीर्थयात्रियों को सुविधा हो। सचखंड एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों में स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए।

इसके साथ ही ट्रेनों में लंगर (सामुदायिक भोजन) की व्यवस्था की जाए। सभी तीर्थ यात्रा ट्रेनों की सुविधाओं में सुधार किया जाए।

उन्होंने कहा कि इन सुझावों का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर जी के महान बलिदान को श्रद्धांजलि देना और उनकी शिक्षाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना है, साथ ही तीर्थस्थलों तक की रेल यात्रा को और भी आरामदायक बनाना है।

पंजाब में बाढ़ के हालातों पर उन्होंने कहा कि पंजाब में बाढ़ का पानी कम होने पर चर्चा की जाएगी। अभी कोई बात नहीं हुई; अगली बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।

गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जो अपनी बहादुरी और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते थे। उन्होंने औरंगजेब के शासनकाल में धर्म की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया, विशेषकर कश्मीरी पंडितों के जबरन धर्मांतरण का विरोध करते हुए। उनकी शिक्षाएं समानता, न्याय और मानवता की रक्षा पर केंद्रित हैं, और उनके सम्मान में दिल्ली के चांदनी चौक में गुरुद्वारा शीशगंज साहिब बनाया गया है।

Source : IANS

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