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थलसेना प्रमुख ने कॉन्क्लेव में शिक्षकों और छात्रों को किया संबोधित

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नई दिल्ली, 18 दिसंबर (khabarwala24)। भारतीय थलसेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से एक महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव में सहभागिता की। यह कॉन्क्लेव भारत के लिए उभरती वैश्विक गतिशीलताओं को रणनीतिक अवसरों में रूपांतरित करने के विषय पर केंद्रित था। इस दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय विमर्श और रणनीतिक सोच को आकार देने में अकादमिक संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक भू-राजनीतिक और प्रौद्योगिकीय परिवेश तेजी से बदल रहा है।

सेना प्रमुख ने अपने संबोधन में संकाय सदस्यों से अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता प्राप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने इसे भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्यों के अनुरूप रखने पर बल दिया। इस कॉन्क्लेव का सह-आयोजन कुमारगुरु कॉलेज ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड साइंस तथा आरआईएसईटी फाउंडेशन द्वारा किया गया था। आरआईएसईटी फाउंडेशन एक ऐसा संस्थान है जो सरकार, उद्योग और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया है। यह सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में नीतिगत सुदृढ़ीकरण हेतु गुणवत्तापूर्ण शोध को प्रोत्साहित करता है।

इस अवसर पर थलसेना प्रमुख ने आरआईएसईटी की आधिकारिक वेबसाइट का शुभारंभ किया। उन्होंने दोनों संस्थानों के शिक्षकों व छात्रों को संबोधित भी किया। उन्होंने विभिन्न अनुशासनों में उच्चस्तरीय अकादमिक शोध को आगे बढ़ाने के लिए संस्थानों के निरंतर प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सुदृढ़ और तथ्य-आधारित शोध ही नीति-निर्माण को मजबूती प्रदान करता है और भारत को उभरती वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदलने में सक्षम बनाता है।

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इस कॉन्क्लेव में कुमारगुरु संस्थान के अध्यक्ष शंकर वनवरायर, पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक तथा वर्तमान में आरआईएसईटी के अध्यक्ष डॉ. गुलशन राय, पूर्व उप-थलसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बीएस राजू—वर्तमान में आरआईएसईटी के महानिदेशक, तथा कुमारगुरु कॉलेज ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड साइंस के प्राचार्य डॉ. दीपेश चंद्रशेखरन सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने सहभागिता की।

कॉन्क्लेव के दौरान बदलती वैश्विक परिस्थितियों, भारत के लिए उभरते रणनीतिक अवसरों और नीति-उन्मुख शोध की भूमिका पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस विमर्श से शिक्षा, सुरक्षा और नीति-निर्माण के बीच मजबूत सेतु स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण संदेश गया।

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