मुंबई, 20 अक्टूबर (khabarwala24)। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को एकीकृत करने के लिए एक ‘वॉर रूम’ स्थापित करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह पहल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश पर शुरू की गई है, जो जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त या रियायती उपचार सुनिश्चित करेगी।
वॉर रूम मुख्यमंत्री राहत कोष और चैरिटेबल हॉस्पिटल हेल्प डेस्क के अधीन कार्य करेगा। महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (मित्रा) के सीईओ और पूर्व आईएएस अधिकारी प्रवीण परदेशी को इसकी स्थापना और संचालन का जिम्मा सौंपा गया है। यह कदम राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को सुव्यवस्थित, पारदर्शी और त्वरित बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
राज्य में चल रही कई स्वास्थ्य योजनाएं जैसे मुख्यमंत्री राहत कोष, महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना (एमजेजीआरएवाई), आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), राजीव गांधी ज्योति योजना और महाराष्ट्र राज्य सहायता कोष जैसी योजनाएं लाखों नागरिकों को लाभ पहुंचा रही हैं।
इन योजनाओं के तहत कैंसर, हृदय रोग, किडनी प्रत्यारोपण जैसे गंभीर इलाज पर 1.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की सहायता मिलती है। हालांकि, हाल के आंकड़ों से पता चला है कि कुछ मामलों में एक ही मरीज दो या अधिक योजनाओं का लाभ उठा रहा है, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष 15 प्रतिशत से अधिक मामलों में दोहरी पात्रता की शिकायतें दर्ज हुईं, जिससे करोड़ों रुपए बर्बाद हुए। वॉर रूम इसी समस्या का समाधान करेगा, जहां सभी योजनाओं का डेटाबेस एकीकृत होगा और रियल-टाइम मॉनिटरिंग होगी।
नागरिकों के लिए सुविधा के मद्देनजर एक कॉमन टोल-फ्री नंबर 1800 123 2211 जारी किया गया है। इस नंबर पर कॉल करने से मरीजों को सभी योजनाओं की जानकारी, आवेदन प्रक्रिया, पात्रता जांच और शिकायत निवारण की तत्काल सहायता मिलेगी। वॉर रूम सभी आवेदनों की ऑनलाइन ट्रैकिंग करेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (मित्रा) के सीईओ प्रवीण परदेशी ने बताया, “यह वॉर रूम स्वास्थ्य सेवाओं को एकीकृत करेगा। हम डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए डुप्लिकेट क्लेम्स को रोकेंगे और वास्तविक लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाएंगे।”
इस पहल के परिणामस्वरूप, राज्य के 11 करोड़ आबादी वाले महाराष्ट्र में स्वास्थ्य कवरेज 80 प्रतिशत से ऊपर पहुंच सकता है।
इस पहल के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय में 12 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष प्रवीण परदेशी हैं, जबकि सदस्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय, महिला एवं बाल विकास, श्रम, आदिवासी विकास, अल्पसंख्यक विकास, दिव्यांग कल्याण और कानून एवं न्याय विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव शामिल हैं।
Source : IANS
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