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शरीर का पिलर, प्रोटेक्टर और शॉक एब्जॉर्बर है रीढ़ की हड्डी, जानिए कैसे करता है काम

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नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (khabarwala24)। मानव शरीर की संरचना में रीढ़ की हड्डी, जिसे स्पाइनल कॉलम या वर्टिब्रल कॉलम कहा जाता है, सबसे अहम हिस्सा है। यह न केवल हमें सीधा खड़े रहने में मदद करती है, बल्कि हमारे पूरे शरीर की गतिविधियों, संतुलन और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाती है।

रीढ़ की हड्डी कुल मिलाकर 33 कशेरुकाओं से बनी होती है, हालांकि कुछ लोगों में इनकी संख्या थोड़ी अलग हो सकती है, विशेष रूप से कमर और त्रिकास्थि क्षेत्र में।

भ्रूण अवस्था में ये कशेरुकाएं ज्यादा होती हैं, लेकिन समय के साथ आपस में जुड़कर एक संरचना बना लेती हैं।

रीढ़ की हर कशेरुका की अपनी एक विशेष आकृति और कार्य होता है, जैसे गर्दन की पहली दो हड्डियां सिर को घुमाने और झुकाने की क्षमता देती हैं। गर्दन की हड्डियां सबसे छोटी होती हैं, जबकि कमर की हड्डियां सबसे बड़ी और मजबूत होती हैं क्योंकि वे पूरे शरीर का भार उठाती हैं। कशेरुकाओं के बीच मौजूद इंटरवर्टिब्रल डिस्क एक प्रकार के शॉक एब्जॉर्बर होते हैं, जो चलने-फिरने और झटकों को सहने में मदद करते हैं। यही कारण है कि सुबह के समय इंसान की ऊंचाई रात की तुलना में 1-2 सेमी अधिक होती है, क्योंकि दिनभर डिस्क पर दबाव के कारण उसमें मौजूद तरल कम हो जाता है।

वर्टिब्रल कॉलम के भीतर स्पाइनल कॉर्ड सुरक्षित रहता है, जो दिमाग से निकलने वाली 31 जोड़ी नसों को शरीर के विभिन्न हिस्सों से जोड़ता है। रीढ़ की प्राकृतिक वक्रता जन्म के समय नहीं होती, लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बैठना और चलना सीखता है, यह वक्रता विकसित होती है। खास बात यह है कि इंसान और अन्य स्तनधारी जैसे जिराफ की गर्दन की हड्डियां संख्या में समान होती हैं, बस उनके आकार में अंतर होता है।

वृद्धावस्था में डिस्क के तरल की मात्रा कम होने से लचीलापन घटता है और रीढ़ कठोर हो जाती है। चोट लगने पर उसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि चोट रीढ़ के किस हिस्से में है। गर्दन में चोट से पूरे शरीर पर असर हो सकता है, जबकि कमर की चोट से सिर्फ निचले हिस्से पर असर होता है।

रीढ़ की सेहत को बनाए रखने के लिए नियमित योगासन जैसे भुजंगासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन करना फायदेमंद है। प्राणायाम, पौष्टिक आहार (दूध, तिल, आंवला), सही बैठने की आदत, तिल या भृंगराज तेल की मालिश, सुबह की धूप और हल्की स्ट्रेचिंग से रीढ़ की मजबूती और लचीलापन दोनों बनाए रखा जा सकता है।

Source : IANS

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