नेपाल बॉर्डर से सटा रीगा विधानसभा, सांस्कृतिक धरोहर और राजनीतिक रणनीति का संगम

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नई दिल्ली, 28 अगस्त (khabarwala24)। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही इस क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण मतदाताओं की बहुलता वाले रीगा में इस बार के चुनावी मुद्दे और उम्मीदवारों की रणनीति चर्चा का विषय बनी हुई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां पर कमल खिलाया था। हालांकि, इस बार इंडिया ब्लॉक ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल(राजद) नेता तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के माध्यम से जनसमर्थन जुटा रहे हैं। इनका दावा है कि इस बार उन सीटों पर भी जीत हासिल करेंगे, जहां पिछली बार हार हुई। इसमें रीगा विधानसभा भी एक सीट है।

रीगा विधानसभा बिहार की उन सीटों में से एक है जहां की जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। हालांकि, हर साल यहां पर आने वाली बाढ़ किसानों की खेती पर पानी फेरने का काम करती है। विकास यहां पर कोसों दूर है। हालांकि, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव और माता जानकी मंदिर के बन जाने से विकास उनके गांव-घर तक भी पहुंचेगा।

सीतामढ़ी जिला नेपाल बॉर्डर से सटा हुआ है, और रीगा विधानसभा क्षेत्र की कहानी केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी भूमि है जहां माता सीता की पवित्र जन्मभूमि की आध्यात्मिकता, मिथिला की रंगीन कला और परंपराएं, और कृषि की मेहनतकश जिंदगी एक साथ सांस लेती हैं।

माता जानकी मंदिर परियोजना ने इस क्षेत्र को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान में लाया है। राजनीतिक दलों की सक्रियता, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों के लिए, यह दर्शाती है कि रीगा और सीतामढ़ी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी बिहार के नक्शे पर महत्वपूर्ण हैं।

रीगा और आसपास का मिथिलांचल क्षेत्र मिथिला संस्कृति और मैथिली भाषा के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र मिथिला पेंटिंग (मधुबनी कला) का गढ़ है, जो अपनी अनूठी शैली और प्रतीकात्मक चित्रण के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

रीगा का नाम बिहार के औद्योगिक इतिहास में भी सुनहरा है। यहां की रीगा चीनी मिल कभी इस क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ थी। रीगा एक कृषि-प्रधान क्षेत्र है, जहां धान, गेहूं, गन्ना और मक्का की खेती प्रमुख है। यहां पर स्थानीय लोकगीत और नृत्य, जैसे झिझिया, यहां की पहचान है।

इस सीट पर चुनावी समीकरण की बात करें तो यहां पर 2020 में भाजपा के उम्मीदवार मोतीलाल प्रसाद ने कमल खिलाया था। इस सीट पर हमेशा से ही कांटे की टक्कर देखी गई है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार ने भाजपा का दामन छोड़ राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो यहां पर भाजपा का कमल खिल नहीं पाया। लेकिन, 2020 के चुनाव में जब नीतीश भाजपा के साथ आए तो कमल खिला। इस बार कांटे की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है।

एक जनवरी 2024 तक चुनाव आयोग के डाटा के अनुसार, इस विधानसभा में पुरुष मतदाता 1,72,123, महिला मतदाता 1,52,988, और थर्ड जेंडर 11 हैं। इस तरह विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या 3,25,122 है।

डीकेएम/केआर

Source : IANS

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