फोन पर PM Modi की ट्रंप को दो टूक ‘ना मध्यस्थता स्वीकारी थी, ना स्वीकारेंगे.. पाकिस्तान की अपील पर रोका था ऑपरेशन सिंदूर’

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Khabarwala24 News PM Modi : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच हाल ही में एक महत्वपूर्ण फोन कॉल हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ताजा घटनाक्रमों, खासकर ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और सीजफायर जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। यह बातचीत करीब 35 मिनट तक चली और इसमें पीएम मोदी ने ट्रंप को साफ शब्दों में बताया कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और न ही भविष्य में करेगा।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Vikram Misri) ने इस बातचीत की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें उन्होंने बताया कि पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की मध्यस्थता को भारत ने न कभी स्वीकार किया है, न करता है, और न ही भविष्य में करेगा।

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor): भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) भारत की ओर से आतंकवाद के खिलाफ की गई एक सटीक और मजबूत कार्रवाई थी, जिसका जिक्र इस फोन कॉल में प्रमुखता से हुआ। विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Vikram Misri) ने बताया कि पीएम मोदी (PM Modi) ने राष्ट्रपति ट्रंप  (Donald Trump) को बताया कि 22 अप्रैल, 2025 को भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया था। इसके बाद 6-7 मई की रात को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए।

इन हमलों को पीएम मोदी ने measured, precise और non-escalatory बताया, जिसका मतलब है कि भारत ने केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया और किसी भी तरह से स्थिति को अनावश्यक रूप से बढ़ाने की कोशिश नहीं की। पीएम मोदी ने यह भी साफ किया कि भारत ने हमेशा कहा है कि अगर पाकिस्तान की ओर से गोली चलेगी, तो भारत उसका जवाब गोले से देगा। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को यह अहसास कराया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा।

भारत-पाकिस्तान सीजफायर: ट्रंप के दावों का जवाब

राष्ट्रपति ट्रंप (Donald Trump) ने कई मौकों पर यह दावा किया कि उन्होंने India-Pakistan ceasefire कराने में अहम भूमिका निभाई और इसके लिए trade deals का हवाला दिया। हालांकि, पीएम मोदी (PM Modi) ने इस फोन कॉल में ट्रंप के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की बात सीधे दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई थी, और यह पाकिस्तान के आग्रह पर ही संभव हो पाया।

पीएम मोदी (PM Modi) ने ट्रंप को बताया कि 9 मई की रात को अमेरिका के उपराष्ट्रपति Vance ने उन्हें फोन कर चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है। इस पर पीएम मोदी (PM Modi) ने जवाब दिया था कि अगर ऐसा हुआ, तो भारत उसका और भी बड़ा जवाब देगा। इसके बाद 9-10 मई की रात को जब पाकिस्तान ने हमला किया, तो भारत ने इसका करारा जवाब दिया। भारत की इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की सेना को भारी नुकसान हुआ, और उनके military airbases को भी निष्क्रिय कर दिया गया।

इसके बाद पाकिस्तान को मजबूरन भारत से सैन्य कार्रवाई रोकने की अपील करनी पड़ी। पीएम मोदी ने ट्रंप को साफ शब्दों में बताया कि इस पूरे घटनाक्रम में India-US trade deal या अमेरिका की ओर से किसी भी तरह की मध्यस्थता की कोई बात नहीं हुई।

भारत की मध्यस्थता पर स्पष्ट नीति: न स्वीकार है, न करेंगे

पीएम मोदी (PM Modi) ने इस बातचीत में भारत की उस नीति को दोहराया, जो दशकों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया और न ही भविष्य में करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर भारत के political consensus को भी रेखांकित किया, यानी इस मामले में भारत की सभी राजनीतिक पार्टियां एकमत हैं।

ट्रंप ने पहले कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच Kashmir issue पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। 13 जून, 2025 को भी ट्रंप ने कहा था कि वह दोनों देशों को एक साथ लाकर इस मुद्दे का हल निकाल सकते हैं। लेकिन पीएम मोदी ने इस फोन कॉल में ट्रंप के इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी बातचीत bilateral यानी द्विपक्षीय स्तर पर ही होगी।

G-7 समिट और फोन कॉल की पृष्ठभूमि

विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Vikram Misri) ने बताया कि पीएम मोदी (PM Modi) और ट्रंप की मुलाकात G-7 Summit के दौरान कनाडा के कनानैस्किस में होने वाली थी। लेकिन ट्रंप को जल्दी लौटना पड़ा, जिसके कारण यह मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद ट्रंप के आग्रह पर यह फोन कॉल हुई। यह बातचीत 22 अप्रैल, 2025 के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत थी, जब ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन कर condolences जताई थीं और आतंकवाद के खिलाफ भारत के समर्थन की बात कही थी।

आतंकवाद को अब युद्ध मानता है भारत

पीएम मोदी (PM Modi) ने ट्रंप को बताया कि भारत अब आतंकवाद को proxy war नहीं, बल्कि war के रूप में देखता है। Operation Sindoor अभी भी जारी है, और भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ zero tolerance की बात कही जाती है।

इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन पर भी हुई चर्चा

इस फोन कॉल में भारत-पाकिस्तान के मुद्दों के अलावा वैश्विक मुद्दों पर भी बात हुई। पीएम मोदी (PM Modi) और ट्रंप ने Israel-Iran conflict और Russia-Ukraine war पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच direct talks जरूरी हैं। इसके अलावा, Indo-Pacific region में QUAD की भूमिका पर भी दोनों नेताओं ने अपने विचार साझा किए और इसकी अहमियत को रेखांकित किया।

ट्रंप की भारत यात्रा का निमंत्रण

पीएम मोदी (PM Modi) ने ट्रंप को QUAD summit के लिए भारत आने का न्योता दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार कर लिया। ट्रंप ने कहा कि वह भारत आने के लिए excited हैं। यह निमंत्रण दोनों देशों के बीच मजबूत रिश्तों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ट्रंप की  PM Modi को अमेरिका रुकने की पेशकश

विदेश सचिव ने बताया कि ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से लौटते वक्त America में रुक सकते हैं। लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) ने अपने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए इस पेशकश को विनम्रता से ठुकरा दिया। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि वे जल्द ही मुलाकात करने की कोशिश करेंगे।

भारत की मजबूत कूटनीति का प्रदर्शन

पीएम मोदी (PM Modi) और ट्रंप के बीच यह फोन कॉल न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को समझने के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने भारत की कूटनीतिक ताकत को भी दुनिया के सामने रखा। पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। साथ ही, भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत किया, खासकर Indo-Pacific क्षेत्र और QUAD जैसे गठबंधनों के जरिए।

यह बातचीत भारत के उस रुख को दर्शाती है, जिसमें वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट करता है और साथ ही वैश्विक शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है। ट्रंप के साथ यह बातचीत न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत करने का भी एक उदाहरण है।

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