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Operation Mahadev:पहलगाम हमले के 96 दिन बाद Mount Mahadev पर सुरक्षा बलों ने हमले के आरोपी सुलेमान शाह को मार गिराया

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Khabarwala24 News Operation Mahadev: भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 96 दिन बाद एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। ऑपरेशन महादेव के तहत श्रीनगर के दाचीगाम जंगल में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता सुलेमान शाह भी शामिल था। यह ऑपरेशन स्वदेशी तकनीक, ड्रोन, और सटीक रणनीति का शानदार उदाहरण है। आइए, इस ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) की पूरी कहानी और इसके महत्व को समझते हैं।

पहलगाम हमला: क्या हुआ था?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बाइसरन घाटी में आतंकियों ने एक भयानक हमला किया था। इस हमले में The Resistance Front (TRF), जो पाकिस्तान के Lashkar-e-Taiba (LeT) का मोहरा माना जाता है, के पांच आतंकियों ने 26 बेकसूर पर्यटकों की जान ले ली। आतंकियों ने M4 Carbine और AK-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया और हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया। जो लोग इस्लामिक आयतें नहीं पढ़ सके, उन्हें गोलियों से भून दिया गया। इस हमले में एक नेपाली नागरिक भी मारा गया।

इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया। पर्यटन पर भी इसका बुरा असर पड़ा। भारत ने TRF और पाकिस्तान पर हमले का इल्जाम लगाया, जबकि पाकिस्तान ने इसे “घरेलू विद्रोह” करार दिया। जवाब में भारत ने Indus Waters Treaty को सस्पेंड कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को देश से निकाला।

नुकसान और प्रभाव

  • मृत्यु: 26 लोग मारे गए, जिसमें पर्यटक और एक नेपाली नागरिक शामिल थे।
  • आर्थिक प्रभाव: पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल पर सैलानियों की संख्या घटी।
  • राजनीतिक कदम: भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए।

ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev): मिशन की शुरुआत

पहलगाम हमले के बाद भारत ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर सटीक Air Strikes किए गए। लेकिन आतंक की जड़ों को पूरी तरह खत्म करने के लिए सेना ने ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) शुरू किया। यह ऑपरेशन 96 दिन तक चला और इसका मकसद पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकियों को ढूंढकर खत्म करना था।

ऑपरेशन का आखिरी चरण

28 जुलाई 2025 को श्रीनगर के Dachigam Forest में मुठभेड़ के साथ ऑपरेशन का अंतिम चरण शुरू हुआ। इसमें Special Operations Group (SOG) और 12 Sikh Light Infantry ने हिस्सा लिया। सेना का लक्ष्य था आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करना और मुख्य साजिशकर्ता सुलेमान शाह को पकड़ना या मारना।

मिशन की कहानी: कैसे हुआ आतंकियों का खात्मा?

जासूसी और ट्रैकिंग: सेना ने Drones और Human Intelligence (HUMINT) के जरिए आतंकियों की लोकेशन ट्रैक की। दाचीगाम के घने जंगलों में आतंकियों के छिपे होने की पक्की खबर मिली। स्वदेशी ड्रोन और Thermal Imaging की मदद से सेना ने रात में भी उनकी हरकतों पर नजर रखी।

मुठभेड़ और सफाया: 28 जुलाई की सुबह सुरक्षाबलों ने दाचीगाम इलाके को चारों तरफ से घेर लिया। आतंकियों ने गोलीबारी शुरू की, लेकिन सेना ने Counter-Attack में उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। 6 घंटे तक चली मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए, जिनमें सुलेमान शाह भी शामिल था।

बरामद हथियार: मुठभेड़ के बाद मौके से AK-47, Grenades, और IED (Improvised Explosive Device) बरामद हुए। ये हथियार पहलगाम हमले में इस्तेमाल किए गए थे, जिससे आतंकियों का कनेक्शन साफ हो गया। Robotic Systems की मदद से IED को निष्क्रिय किया गया।

सफलता का दावा: सेना ने दावा किया कि पहलगाम हमले का मुख्य साजिशकर्ता सुलेमान शाह मारा गया। हालांकि, कुछ आतंकी अभी भी छिपे हो सकते हैं, जैसे Hashim Musa, जिनकी तलाश जारी है।

ऑपरेशन महादेव की खासियत

स्वदेशी तकनीक का कमाल: ऑपरेशन में Indigenous Drones और Radar Systems का इस्तेमाल हुआ, जो घने जंगलों में आतंकियों को ढूंढने में कारगर रहे। Thermal Imaging और Night Vision ने रात में ऑपरेशन को आसान बनाया।

सटीक रणनीति: सेना ने नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए सावधानी बरती। Precision Strikes और Intelligence-Based Operations ने मिशन को सफल बनाया।

लंबी तैयारी : 96 दिन तक चले इस ऑपरेशन में जासूसी, घेराबंदी, और सटीक हमले शामिल थे। सेना ने हर कदम पर धैर्य और रणनीति का इस्तेमाल किया।

भारत के लिए क्या मायने?

सुरक्षा में बढ़ोतरी: ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) ने पहलगाम जैसे हमलों को रोकने की भारत की ताकत दिखाई। यह आतंकियों के लिए साफ संदेश है कि भारत उनकी हरकतों को बर्दाश्त नहीं करेगा।

स्वदेशी तकनीक पर गर्व: Make in India के तहत बने ड्रोन और रडार ने देश की तकनीकी ताकत को दिखाया। इससे भारत का आत्मविश्वास बढ़ा।

चुनौतियां बाकी: हालांकि सुलेमान शाह का सफाया बड़ी जीत है, लेकिन Hashim Musa जैसे आतंकी अभी भी खतरा बने हुए हैं। सेना को लगातार सतर्क रहना होगा।

ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) ने पहलगाम हमले के 96 दिन बाद आतंकियों को करारा जवाब दिया। श्रीनगर की मुठभेड़ में सुलेमान शाह समेत तीन आतंकियों का मारा जाना भारत की सुरक्षा और दृढ़ता का प्रतीक है। स्वदेशी तकनीक और सेना की मेहनत ने इस मिशन को ऐतिहासिक बनाया। लेकिन आतंक की जड़ें पूरी तरह खत्म करने के लिए भारत को और सख्त कदम उठाने होंगे।

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