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Malegaon Blast Case: RSS प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के ऑर्डर थे, पूर्व ATS अधिकारी महबूब मुजावर का मालेगांव ब्लास्ट केस पर बड़ा खुलासा

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Khabarwala24 News Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र ATS के एक पूर्व अधिकारी ने 2008 के मालेगांव बम धमाके की जांच को लेकर शुक्रवार को सनसनीखेज खुलासा किया। पूर्व अधिकारी महबूब मुजावर ने दावा किया कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। इस निर्देश का पालन न करने पर उन्हें झूठे केस में फंसाकर जेल भेज दिया गया। यह बयान NIA कोर्ट द्वारा मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सात आरोपियों को बरी करने के एक दिन बाद आया है।

ATS Officer ने खोली जांच की पोल

महबूब मुजावर ने बताया कि उन्हें फरार आरोपियों संदीप डांगे और रामजी कलसांगरा को पकड़ने का जिम्मा सौंपा गया था। साथ ही, वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें परमबीर सिंह का नाम शामिल है, ने उन्हें RSS chief मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। मुजावर ने कहा, “मुझे 10 लोगों की team, फंडिंग और एक service revolver भी दिया गया था। लेकिन मैंने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि मोहन भागवत के खिलाफ कोई ठोस evidence नहीं था।”

भगवा आतंकवाद का बनाया गया Narrative

मुजावर ने खुलासा किया कि उस समय “भगवा आतंकवाद” ((Saffron Terrorism)) शब्द को जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा था। उन्होंने कहा, “मुझे नागपुर में रहकर मोहन भागवत को arrest करने का दबाव था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। यह नैतिक और कानूनी रूप से गलत था। अगर मैंने ऐसा किया होता, तो न जाने मेरे साथ क्या होता।” उनके इस इनकार के बाद सिस्टम ने उनसे बदला लेना शुरू कर दिया।

झूठे केस में फंसाए गए मुजावर

मुजावर ने IANS से बातचीत में बताया कि मोहन भागवत को न गिरफ्तार करने की वजह से उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। उन्हें जेल भेजा गया और chargesheet दाखिल की गई। हालांकि, उन्होंने कोर्ट में सभी documents पेश किए, जो साबित करते थे कि RSS प्रमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। इसके बाद उन्हें बरी कर दिया गया। मुजावर ने कहा, “ये दस्तावेज NIA को भी सौंपे गए और final verdict के दौरान पेश किए गए। अब 10 साल से ज्यादा समय बीत चुका है।”

Malegaon Blast: कोर्ट का फैसला

गुरुवार को NIA कोर्ट ने 2008 Malegaon Blast Case में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने UAPA, Arms Act और IPC के तहत सभी आरोप खारिज कर दिए, क्योंकि पर्याप्त सबूत नहीं थे। इस केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित मुख्य आरोपी थे। कोर्ट ने मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।

2008 मालेगांव ब्लास्ट की पूरी कहानी

29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे बम में विस्फोट हुआ था। यह धमाका रमजान और नवरात्रि से ठीक पहले हुआ, जिसने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इस इलाके में तनाव पैदा कर दिया। इस हमले में 6 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए। करीब 17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

क्या है इस खुलासे का असर?

मुजावर का यह बयान Malegaon Blast Case को फिर से चर्चा में ला सकता है। उनके दावों ने जांच की निष्पक्षता और उस समय के political narrative पर सवाल उठाए हैं। यह मामला अब सोशल मीडिया और political circles में भी गर्म हो सकता है।

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