नई दिल्ली, 29 अगस्त (khabarwala24)। अमेरिका की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग के बड़े स्तर पर प्रभावित होने की संभावना है, लेकिन देश मुद्रा मूल्यह्रास और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और मध्य पूर्व में निर्यात में बढ़ा सकता है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) और घरेलू वस्त्र उत्पादों के निर्यात में होने वाली हानि की भरपाई सूती धागे और कपड़े के निर्यात में वृद्धि से होने की संभावना है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों में इन उत्पादों में बैकवर्ड्स इंटीग्रेशन की कमी है।
सरकार ने 31 दिसंबर, 2025 तक कपास पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क हटा दिया है। इसके अतिरिक्त, 40 देशों तक अपने समर्पित आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से निर्यात बाजारों के विस्तार के साथ-साथ निर्यात प्रोत्साहन और ब्याज सब्सिडी के रूप में सरकार से समर्थन, भारतीय कपड़ा निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मकता और लाभप्रदता को बढ़ावा दे सकता है।
भारतीय कपड़ा और परिधान उद्योग का आकार 160-170 अरब डॉलर का है, जिसमें घरेलू उद्योग का योगदान 78-80 प्रतिशत है। 2024 में भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात 35 अरब डॉलर का था, जिसमें रेडीमेड गारमेंट्स (आरएमजी) और घरेलू वस्त्रों का लगभग 63 प्रतिशत का बड़ा हिस्सा था।
अमेरिका भारतीय कपड़ा और परिधान उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है, जिसका कुल निर्यात में 28-29 प्रतिशत हिस्सा है, जो 2024 में लगभग 10.5 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के बाद, भारतीय कपड़ा निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में लागत में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे कुछ ऑर्डर अपेक्षाकृत कम टैरिफ वाले प्रतिस्पर्धी देशों की ओर स्थानांतरित हो सकते हैं।
2025 में भारतीय कपड़ा और परिधान निर्यात में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है, लेकिन टैरिफ दरों में तेज वृद्धि के बाद 2026 में अमेरिका को निर्यात में बड़ी गिरावट आने की उम्मीद है, जिससे कुल कपड़ा निर्यात 9-10 प्रतिशत घटकर 30 अरब डॉलर रह सकता है।
2025 में भारतीय कपड़ा निर्यात में कोई खास गिरावट आने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कुछ अमेरिकी खरीदारों ने 27 अगस्त को टैरिफ वृद्धि से पहले ही भारत से अपने शिपमेंट पहले ही भेज दिए थे।
निर्यात में अपेक्षित गिरावट की भरपाई भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के कारण यूके को निर्यात में वृद्धि से होने की संभावना है।
भारत-यूके एफटीए भारत के आरएमजी और होम टेक्सटाइल क्षेत्रों के लिए एक बड़ा बदलाव लेकर आया है, जो लगभग 23 अरब अमेरिकी डॉलर के यूके आयात बाजार तक पहुंचने के लिए प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों के साथ समान अवसर प्रदान करता है।
केयरएज रेटिंग्स के सहायक निदेशक अक्षय मोरबिया ने कहा, भारत के कपड़ा निर्यात में कैलेंडर वर्ष 2026 में 9-10 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है। राजस्व में संभावित कमी और आंशिक टैरिफ अवशोषण के साथ, भारतीय आरएमजी और होम टेक्सटाइल निर्यातकों के पीबीआईएलटी मार्जिन में 300-500 आधार अंकों की गिरावट आने की उम्मीद है।
हालांकि, गिरावट की मात्रा अंततः इस बात पर निर्भर करेगी कि भारतीय निर्यातक अपने अमेरिकी ग्राहकों के साथ मात्रा बनाए रखने के लिए मूल्य निर्धारण पर कितनी प्रभावी बातचीत कर पाते हैं।
एबीएस/
Source : IANS
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