चेन्नई, 12 अक्टूबर (khabarwala24)। तमिलनाडु में इन दिनों डेंगू, टाइफाइड और बुखार के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। अक्टूबर की शुरुआत तक राज्य में डेंगू के 16,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें आठ लोगों की मौत हो चुकी है। यह स्थिति कई जिलों में फैल चुकी है, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। बीमारी के बढ़ते असर को देखते हुए राज्य सरकार ने एहतियाती कदम तेज कर दिए हैं।
राज्यभर में स्वास्थ्य विभाग ने घर-घर जाकर लोगों की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग बीमारी के लक्षण पहचान सकें और समय पर इलाज करवा सकें। मच्छर नियंत्रण के लिए दवाओं का छिड़काव, नालियों की सफाई और पानी जमा होने वाले स्थानों की सफाई जैसे काम तेजी से किए जा रहे हैं।
सरकार को डर है कि अगर यही हालात रहे तो आगामी उत्तर-पूर्व मानसून की बारिश के दौरान स्थिति और बिगड़ सकती है।
राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक के बाद तमिलनाडु डेंगू के मामलों में दूसरे नंबर पर है। 2025 में अब तक यहां 16,546 केस सामने आए हैं। पिछले साल 2024 में 27,378 केस और 13 मौतें हुई थीं। वहीं, 2023 में 9,121 मामले और 8 मौतें दर्ज की गई थीं। ये आंकड़े साफ दिखाते हैं कि हर साल बारिश के बाद डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी आती है।
स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इस बार डेंगू बढ़ने की बड़ी वजहें अनियमित बारिश, तापमान में लगातार बदलाव और जलभराव हैं, खासकर शहरी और ग्रामीण इलाकों में जगह-जगह जमा पानी मच्छरों के पनपने की जगह बन रहा है। एडीज एजिप्टी नामक मच्छर, जो डेंगू फैलाता है, ऐसे ही पनपता है।
राज्य के कई जिलों से बुखार के मामले सामने आए हैं। चेन्नई, तिरुवन्नामलाई, मदुरै और कोयंबटूर जैसे शहरों में कई लोग बुखार से पीड़ित पाए गए हैं। इससे संक्रमण के फैलाव की गंभीरता और बढ़ गई है। सरकार ने इन इलाकों में विशेष निगरानी शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें अब सरकारी और निजी अस्पतालों में जाकर लगातार निगरानी कर रही हैं। घर-घर जाकर लोगों की जांच हो रही है ताकि बुखार के मरीजों की पहचान तुरंत की जा सके और उन्हें समय रहते इलाज मिल सके। इसके साथ ही मच्छर रोधी दवाओं का छिड़काव, गंदे पानी की सफाई और पानी जमा होने वाली जगहों को खत्म करने का काम भी किया जा रहा है।
सरकार उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की लगातार निगरानी कर रही है और लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूलों, सरकारी दफ्तरों और रिहायशी इलाकों में अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों से अपील की जा रही है कि वे पानी के बर्तनों को ढककर रखें, फ्रिज और गमलों के पीछे पानी जमा न होने दें और दिन के समय पूरी बांह के कपड़े पहनें क्योंकि डेंगू मच्छर दिन में काटते हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि लोग बुखार होने पर खुद दवा न लें, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं लेने से स्थिति और बिगड़ सकती है। समय पर जांच और इलाज ही सबसे सुरक्षित तरीका है।
राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को पर्याप्त दवाएं, जांच किट और आईवी फ्लूइड्स की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि मरीजों की संख्या बढ़ने पर भी इलाज में कोई रुकावट न आए।
बुखार और डेंगू के मामलों में वृद्धि के बावजूद, अधिकारियों का दावा है कि स्थिति अभी नियंत्रण में है। मृत्यु दर कम है और तमाम एहतियाती उपाय तेजी से किए जा रहे हैं।
Source : IANS
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