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तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने केसीआर को नदी जल बंटवारे पर बहस की दी चुनौती

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हैदराबाद, 18 दिसंबर (khabarwala24)। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को अपने पूर्ववर्ती और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को कृष्णा और गोदावरी नदी जल के आवंटन और उपयोग के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीआरएस के 10 साल के शासनकाल में तेलंगाना के साथ गंभीर अन्याय हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जल बंटवारे से जुड़े मुद्दों पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए तैयार है और इस बात के ठोस सबूत पेश किए जाएंगे कि बीआरएस शासन के दौरान तेलंगाना को उसके हक के पानी से कैसे वंचित किया गया।

रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया कि बीआरएस और केसीआर ने पिछले 10 वर्षों में नदी जल के मामलों में तेलंगाना के साथ विश्वासघात किया, जो संयुक्त आंध्र प्रदेश के दौर से भी बदतर था।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि केसीआर को उनके आरोपों पर आपत्ति है तो वे साक्ष्यों के साथ सामने आएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केसीआर अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, फिर भी उन्होंने उन्हें विपक्ष के नेता के रूप में पत्र लिखकर नदी जल के मुद्दे पर बहस की मांग करने की चुनौती दी।

उन्होंने कहा, “कृष्णा और गोदावरी जल के मामलों में तेलंगाना के साथ किसने अन्याय किया, इस पर चर्चा के लिए हम विशेष सत्र बुलाने को तैयार हैं।”

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रेवंत रेड्डी, केसीआर द्वारा नदी जल आवंटन और सिंचाई परियोजनाओं को लेकर जन आंदोलन शुरू करने की कथित योजना पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। बीआरएस प्रमुख ने 19 दिसंबर को पार्टी की विधायक दल और राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर आंदोलन की रणनीति तय करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 42 प्रतिशत आरक्षण देने के मुद्दे पर भी विधानसभा में चर्चा करने और आगे बढ़ने के लिए तैयार है।

ग्रामीण रोजगार योजना में नए कानून के जरिए किए गए बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने इस महत्वपूर्ण योजना को कमजोर करने की साजिश रची है।

रेवंत रेड्डी ने विश्वास जताया कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों में दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखेगी।

हाल ही में संपन्न ग्राम पंचायत चुनावों पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 12,702 पंचायतों में से 7,527 में जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने 808 पंचायतों में जीत दर्ज की।

उन्होंने बताया कि कांग्रेस और कांग्रेस बागियों ने मिलकर कुल 8,335 पंचायतों (66 प्रतिशत) में जीत हासिल की, जबकि बीआरएस और भाजपा को मिलकर 33 प्रतिशत और वाम दलों को एक प्रतिशत सीटें मिलीं।

उनके अनुसार, चुनाव परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि 94 विधानसभा क्षेत्रों में से 87 में कांग्रेस पहले स्थान पर रही, छह में बीआरएस और एक में भाजपा आगे रही।

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की जीत “जनता की सरकार” के प्रदर्शन का परिणाम है और जूबली हिल्स तथा सिकंदराबाद कैंटोनमेंट उपचुनावों में भी जनता ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हुए और किसी भी नेता, विधायक या मंत्री ने अपने पद का दुरुपयोग कर चुनावों को प्रभावित नहीं किया।

उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं जैसे फाइन चावल वितरण, ज्वार फसलों पर बोनस, 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, इंदिरम्मा आवास, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज मुक्त ऋण, एससी वर्गीकरण का कार्यान्वयन, जाति जनगणना और अन्य योजनाओं का पंचायत चुनावों में सकारात्मक असर दिखा।

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