नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (khabarwala24)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रभावशाली संबोधन में घोषणा की कि भारत में माओवादी आतंकवाद का संकट अपने अंत के करीब है। उन्होंने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत गारंटी है कि देश जल्द ही इस खतरे से मुक्त हो जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने माओवादी हिंसा की निंदा की, जिसने दशकों तक विकास को रोका और गरीब ग्रामीणों, किसानों और आदिवासी समुदायों की जान ली।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माओवादी प्रभाव बहुत कम हो गया है और प्रभावित क्षेत्रों में प्रगति की नई शुरुआत हो रही है।
नई दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में दिए गए अपने भावपूर्ण भाषण में पीएम मोदी ने उन पीड़ितों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला, जो हाल ही में दिल्ली आए और सात दिन तक अपनी आवाज सुनाने की गुहार लगाते रहे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गरीब गांव वाले, किसान और आदिवासी, जिनमें से कुछ के अंग कटे हुए थे, हाथ जोड़कर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे ताकि उनकी बात लोगों तक पहुंचे। उन्होंने शहरी नक्सलियों की आलोचना की, जो कथित तौर पर कांग्रेस शासन के दौरान माओवादी अत्याचारों को छिपाते थे और संविधान का ढोंग करते थे।
पीएम मोदी ने बताया कि 50 साल से अधिक समय तक माओवादी हिंसा के कारण भारत के कई इलाकों में स्कूल, अस्पताल और बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच पाईं। माओवादी आतंक हमारे युवाओं के खिलाफ अन्याय और पाप है। उन्होंने उन अनगिनत माताओं का दर्द साझा किया जिन्होंने नक्सल हिंसा में अपने बेटों को खोया।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रगति पर खुशी जताई और बताया कि पहले 125 जिले माओवादी हिंसा से प्रभावित थे, लेकिन अब केवल 11 जिले बचे हैं, जिनमें से सिर्फ तीन अति संवेदनशील हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 72 घंटों में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। 303 नक्सलियों, जिनमें 1 करोड़ रुपए तक के इनामी बड़े नक्सली शामिल हैं, ने आत्मसमर्पण कर दिया। ये साधारण नक्सली नहीं थे। अब वे संविधान को अपनाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इस बदलाव का श्रेय अपनी सरकार के संवैधानिक मूल्यों के प्रति समर्पण को दिया।
उन्होंने बताया कि यह आत्मसमर्पण दिखाता है कि पूर्व नक्सली अब हिंसा छोड़कर भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर भरोसा कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर जैसे क्षेत्रों में बदलाव की बात की, जो कभी नक्सलियों का गढ़ था। अब वहां आदिवासी बस्तर ओलंपिक का आयोजन कर रहे हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उत्सव बिना डर के मनाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत नक्सली आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा। उन्होंने इसे अपनी निजी गारंटी बताया।
Source : IANS
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