CLOSE AD

भारत में उच्च राख सामग्री वाले कोयले को गैसीकृत करने की क्षमता की प्रदर्शित : एक्सपर्ट्स

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

नई दिल्ली, 5 सितंबर (khabarwala24)। नीति आयोग के एक कार्यक्रम में विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने स्वदेशी प्रौद्योगिकी परीक्षणों के माध्यम से उच्च राख सामग्री वाले कोयले को गैसीकृत करने की क्षमता प्रदर्शित की है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने भारत में कोयला गैसीकरण के त्वरित कार्यान्वयन के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा की गई पहलों की सराहना की।

उन्होंने कोयला गैसीकरण के साथ भारत के शुरुआती भागीदारी पर प्रकाश डाला, जो 2018 से पहले तालचेर उर्वरक संयंत्र में किए गए प्रयासों से शुरू हुई थी, इसकी व्यवहार्यता पर अभी भी सक्रिय बहस चल रही थी।

सारस्वत ने कहा कि प्रारंभिक उद्योग प्रतिक्रिया में उच्च राख सामग्री के कारण भारतीय कोयले को गैसीकृत करने की व्यवहार्यता पर लगातार सवाल उठाए गए थे।

भारतीय कोयले में आमतौर पर उच्च राख सामग्री होती है, जो 25 प्रतिशत से 45 प्रतिशत तक होती है, जबकि अन्य देशों के कोयले में राख सामग्री कम होती है।

इसलिए, न्यूनतम संभव लागत संरचना पर सस्टेन्ड, उच्च-उपलब्धता संचालन सुनिश्चित करने के लिए कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी के चयन को कोयले की विशेषताओं के साथ जोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

नीति आयोग कार्यशाला में विशेष रूप से उन भारतीय और वैश्विक कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने का आह्वान किया गया, जो भारत के उच्च राख सामग्री वाले कोयले के लिए उपयुक्त हैं।

भारत के पास 378 बिलियन टन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है, जिसमें 199 बिलियन टन सिद्ध भंडार हैं। इन संसाधनों का स्थायी रूप से दोहन करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए, सरकार कोयला गैसीकरण को बढ़ावा दे रही है।

कोयला मंत्रालय ने सार्वजनिक और निजी वाणिज्यिक तथा अनुसंधान एवं विकास गैसीकरण परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए 8,500 करोड़ रुपए की व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) के साथ कोयला गैसीकरण योजना अधिसूचित की है। योजना की विभिन्न श्रेणियों के तहत चयनित आवेदकों को पुरस्कार पत्र (एलओए) जारी किए जा चुके हैं।

इस कार्यक्रम में, कोयला मंत्रालय के सचिव, विक्रम देव दत्त ने स्वच्छ और अधिक कुशल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से भारत के विशाल कोयला भंडार के उपयोग में तेजी लाने के राष्ट्रीय उद्देश्य पर जोर दिया।

उन्होंने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार पहलों के समर्थन हेतु समर्पित निधियों के आवंटन सहित, सस्टेनेबिलिटी के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

फ्राउनहोफर आईकेटीएस, जर्मनी के प्रोफेसर मार्टिन ग्रैबनर ने अपनी व्यापक औद्योगिक पृष्ठभूमि और संबद्धता के आधार पर कोयला गैसीकरण तकनीकों पर अंतरराष्ट्रीय अंतर्दृष्टि साझा की।

उनके प्रस्तुतीकरण ने भारत के यूनिक कोल प्रोफाइल और औद्योगिक परिदृश्य के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने हेतु बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।

उनके भाषणों के बाद, आईआईटी दिल्ली और थर्मैक्स, बीएचईएल और सीआईएमएफआर के नेतृत्व में पायलट-स्तरीय पहलों ने भी उद्योग के साथ अपनी स्वदेशी रूप से विकसित कोयला गैसीकरण तकनीकों पर अंतर्दृष्टि साझा की।

सामूहिक रूप से, ये परियोजनाएं इस लंबे समय से चले आ रहे मिथक को खारिज करती हैं कि भारतीय कोयला गैसीकरण योग्य नहीं है।

एसकेटी/

Source : IANS

डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related News

Breaking News