नई दिल्ली, 5 सितंबर (khabarwala24)। घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग के कुल कारोबार में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले दोपहिया और यात्री वाहनों (पीवी) की मांग में क्रमशः 200 आधार अंक (बीपीएस) और 100 आधार अंक की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
इसके परिणामस्वरूप, इस वित्त वर्ष में दोपहिया वाहनों की बिक्री में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जबकि पीवी की बिक्री में 2-3 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वस्तु एवं सेवा कर परिषद का 22 सितंबर से प्रभावी 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-दर संरचना अपनाने का निर्णय एक सही समय पर उठाया गया कदम है, जिससे ऑटोमोबाइल की मांग में फिर से तेजी आएगी।
मांग में सुधार के अलावा, सरलीकृत स्लैब अनुपालन को भी सुव्यवस्थित करेंगे और सुगम अंतरराज्यीय कराधान के माध्यम से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगे, जिससे वैल्यू चेन में लाभप्रदता को बढ़ावा मिलेगा।
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर अनुज सेठी ने कहा, जीएसटी कटौती का पूरा लाभ मिलने से वाहनों की कीमतों में 5-10 प्रतिशत (छोटे पीवी पर 30,000-60,000 रुपए; दोपहिया वाहनों पर 3,000-7,000 रुपए) की गिरावट आने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि नवरात्रि और त्योहारी सीजन के साथ दरों में कटौती होने से, मार्केट सेंटीमेंट को समय रहते बढ़ावा मिलेगा। नए लॉन्च, कम ब्याज दरों और बेहतर अफोर्डिबिलिटी के साथ, इससे ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए दूसरी छमाही में मजबूती आनी चाहिए।
संशोधित जीएसटी स्ट्रक्चर के तहत, छोटे पीवी, 350 सीसी तक के दोपहिया वाहन (इस सेगमेंट की बिक्री का लगभग 90 प्रतिशत), वाणिज्यिक वाहन (सीवी) और तिपहिया वाहनों पर दरें 28 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो जाएंगी।
मध्यम और बड़े आकार के पीवी वाहनों पर भी 3-7 प्रतिशत की कटौती होगी, जबकि ट्रैक्टरों पर कर की दर क्रमशः 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत हो जाएगी।
सीवी के लिए, कम जीएसटी 1 अक्टूबर, 2025 से अनिवार्य एसी केबिन की आवश्यकता से होने वाले लागत दबाव की भरपाई करेगा।
इसके विपरीत, 350 सीसी से अधिक की मोटरसाइकिलों पर कर की दर में वृद्धि होगी, जो वर्तमान 31 प्रतिशत की तुलना में 40 प्रतिशत की विशेष दर पर आ जाएगी, जिसमें क्षतिपूर्ति उपकर भी शामिल है, जिससे वे महंगी हो जाएंगी।
क्रिसिल रेटिंग्स की डायरेक्टर पूनम उपाध्याय ने कहा, अधिक उत्पादन क्षमता उपयोग और परिचालन क्षमता में सुधार करेगा, जिससे वाहन निर्माताओं के लिए नकदी प्रवाह और बेहतर मार्जिन बढ़ेगा, जिससे उनकी पहले से ही स्थिर क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत होगी।
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Source : IANS
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