चेन्नई मेट्रो ने बारिश से बचाव के लिए बनाई खास रणनीति, मशीनरी और स्टेशनों को सुरक्षित रखने की तैयारी

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चेन्नई, 22 अक्टूबर (khabarwala24)। चेन्नई में उत्तर-पूर्वी मानसून की सक्रियता से लगातार हो रही भारी बारिश ने शहर की सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर दिया है। जलभराव की समस्या हर साल इस मौसम में चेन्नईवासियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

ऐसे में चेन्नई मेट्रो रेल लिमिटेड (सीएमआरएल) ने एक व्यापक और सुनियोजित बाढ़-निवारण योजना तैयार की है, जिससे न केवल पहले से संचालित मेट्रो स्टेशनों को सुरक्षित रखा जा सके, बल्कि निर्माणाधीन स्थलों पर भी किसी प्रकार की क्षति न होने पाए।

इस कदम का उद्देश्य है कि मेट्रो सेवाएं बारिश के दौरान भी सुचारू रूप से चलती रहें और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सीएमआरएल अधिकारियों के अनुसार, फेज-1 और उसके विस्तार के अंतर्गत आने वाले कुछ प्रमुख स्टेशन, जैसे गवर्नमेंट एस्टेट, सैदापेट, टेयनामपेट, सेंट थॉमस माउंट, कोयम्बेडु, अरुमबक्कम, तिरुवोट्टियूर और टोल गेट को संवेदनशील घोषित किया गया है। इन स्थानों पर जलभराव की संभावना अधिक होने के कारण पहले से 1,000 से अधिक बोरे, 300 सीमेंट ब्लॉक और 50 किलो वजन के 20 सीमेंट बैग स्टॉक में रखे गए हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर पानी के प्रवेश को रोका जा सके।

सीएमआरएल के प्रोजेक्ट निदेशक टी. अर्चुनन ने बताया कि एजेंसी ने योजना को चार प्रमुख श्रेणियों में बांटा है, पहली- पहले से चालू मेट्रो स्टेशन, दूसरी- निर्माणाधीन स्थल, तीसरी- संवेदनशील क्षेत्र जैसे ओएमआर और पोरूर जंक्शन, और चौथी- ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन (जीसीसी) जैसे विभागों के साथ समन्वय।

उन्होंने आगे कहा, ”सभी श्रेणियों में जलभराव की स्थिति से निपटने के लिए पहले से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इसके तहत जहां चालू स्टेशनों पर जरूरी सामग्री पहले से रखी गई है, वहीं निर्माण स्थलों पर रिटेनिंग वॉल्स (बाधा दीवारें) और पंपिंग सिस्टम लगाए गए हैं, ताकि बारिश का पानी अंदर न घुस सके।”

सीएमआरएल के अनुसार, फिलहाल फेज-2 परियोजना के तहत शहर के कई हिस्सों में भूमिगत सुरंगों की खुदाई का काम जोरों पर है। टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए यह खुदाई की जा रही है और साथ ही टनल लॉन्च व रिट्रीवल शाफ्ट पर भी कार्य प्रगति पर है। ये मशीनें काफी महंगी होती हैं और यदि बारिश का पानी इनमें घुस जाए तो यह भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।

इसी को ध्यान में रखते हुए भारी क्षमता वाले जल पंपों को इन साइटों पर तैनात किया गया है, ताकि पानी अंदर न जा सके और कार्य में रुकावट न आए।

इसके अलावा, सीएमआरएल ने फेज-2 के तीनों प्रमुख कॉरिडोर्स, कॉरिडोर-3 (माधवरम मिल्क कॉलोनी से सिरुसेरी-सिपकॉट), कॉरिडोर-4 (लाइटहाउस से पूनामल्ली डिपो), और कॉरिडोर-5 (माधवरम मिल्क कॉलोनी से शोलिंगनल्लूर) में 603 वॉटर पंप लगाए हैं।

सीएमआरएलने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी फ्लड-रेस्पॉन्स टीमें चौबीसों घंटे सतर्क हैं और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई के लिए तैयार हैं। ये टीमें ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन और अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि मेट्रो संचालन में कोई रुकावट न आए और आम जनता को परेशानी न उठानी पड़े।

Source : IANS

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