कोझिकोड (केरल), 8 सितंबर (khabarwala24)। मलप्पुरम जिले की 56 वर्षीय महिला की प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस से मृत्यु हो गई है। ये एक घातक मस्तिष्क संक्रमण है। सोमवार को स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।
महिला की मृत्यु के साथ ही, जानलेवा दिमाग खाने वाले अमीबा संक्रमण से मरने वालों की संख्या केवल एक महीने के भीतर पांच हो गई है। इसने राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है।
एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संक्रमण से जान गंवाने वाली महिला की पहचान मलप्पुरम के वंडूर की रहने वाली एम. शोभना के रूप में हुई है। पिछले गुरुवार (4 सितंबर) को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल (केएमसीएच) में भर्ती होने के बाद से ही उसके हालात ठीक नहीं थे; वह बेहोशी की हालत में थी।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि वो संक्रमित थी। उसके लक्षण स्पष्ट दिख रहे थे। गहन चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के बावजूद उसमें सुधार नहीं दिख रहा था।
हाल ही में वायनाड जिले के 45 वर्षीय रथेश (जिनका एक हफ्ते से ज्यादा समय से केएमसीएच में इलाज चल रहा था) ने मस्तिष्क संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस बीमारी ने एक महीने में पांच लोगों की जान ले ली है, जिनमें तीन महीने का शिशु और कोझिकोड के थमारस्सेरी की नौ वर्षीय बच्ची भी शामिल है।
कोझिकोड, मलप्पुरम और वायनाड जिलों में इसका प्रकोप ज्यादा है। यहाँ इस साल कुल मिलाकर 42 पुष्ट मामले दर्ज किए गए।
संक्रमण की बढ़ती संख्या को देखते हुए, केरल स्वास्थ्य विभाग ने निवारक उपायों को तेज करने के लिए राज्य लोक स्वास्थ्य अधिनियम लागू किया है।
विभाग ने राज्यव्यापी जल शोधन अभियान शुरू किया है। स्थानीय निकायों से कुओं, पानी की टंकियों और अन्य सार्वजनिक जल निकायों की सफाई करने का आग्रह किया गया है। उन्होंने सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रों में स्थिर जल स्रोतों में तैरने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
केरल में, विशेष रूप से राज्य के उत्तरी भाग में, संक्रमण में वृद्धि के बाद, स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक सार्वजनिक सलाह जारी की है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि शीघ्र डाग्नोसिस महत्वपूर्ण है और अगर बुखार, तेज सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें।
अमीबिक एन्सेफलाइटिस, घातक सेंट्रल नर्वस सिस्टम संक्रमण है जो मीठे पानी की झीलों और नदियों में पाए जाने वाले मुक्त-जीवित अमीबा, नेगलेरिया फाउलेरी (जिसे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा भी कहा जाता है) के कारण होता है।
यह तैराकी, स्नान या नाक धोने के दौरान नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है और तेजी से मस्तिष्क तक पहुंच सकता है, जहां यह प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस का कारण बनता है।
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Source : IANS
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