हरियाणा : करनाल में पराली जलाने पर लगाम, किसान अपना रहे नई तकनीक

-Advertisement-
-Advertisement-
Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
-Advertisement-

करनाल, 16 अक्टूबर (khabarwala24)। हरियाणा के करनाल जिले में किसान अब पराली जलाने की पुरानी प्रथा को छोड़कर फसल अवशेष प्रबंधन की नई तकनीकों को अपना रहे हैं। यह बदलाव न केवल पर्यावरण के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि खेतों की उर्वरता बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रहा है।

करनाल के झांझड़ी गांव के किसान राजकुमार मराठा ने अपने 10 एकड़ धान के खेत में पराली प्रबंधन का शानदार उदाहरण पेश किया है।

उन्होंने khabarwala24 को बताया, “इस बार धान की कटाई के बाद आसपास के खेतों में न तो आग लगी और न ही धुआं उठा। पहले मजबूरी में किसान पराली जलाते थे, लेकिन अब जागरूकता के साथ वे भविष्य की पीढ़ियों और पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।”

मराठा ने बताया कि उन्होंने स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) युक्त कंबाइन मशीन से धान की कटाई करवाई। इस तकनीक से पराली को बारीक काटकर खेत में ही मिला दिया जाता है। इसके बाद केल्टिवेटर की मदद से पराली मिट्टी में मिक्स हो जाती है, जिससे खेत तुरंत अगली फसल के लिए तैयार हो जाता है।

उन्होंने बताया, “यह तकनीक बहुत कारगर है। इससे समय, मेहनत और पर्यावरण तीनों की बचत होती है।”

इस तकनीक में प्रति एकड़ 400 रुपए अतिरिक्त खर्च आता है, लेकिन इसके फायदे कई गुना हैं। पराली सड़कर खाद बनती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और फसल की पैदावार में इजाफा होता है।

करनाल के कृषि उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया, “जिले में अब तक 60 प्रतिशत धान की कटाई हो चुकी है, जिसमें से 40 प्रतिशत पराली का प्रबंधन किया जा चुका है। जिला प्रशासन ने 400 से अधिक टीमें बनाई हैं, जो किसानों को जागरूक कर रही हैं। पराली प्रबंधन के लिए इन-सीटू (खेत में मिलाना) और एक्स-सीटू (खेत से बाहर प्रबंधन) तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभाग द्वारा पराली प्रबंधन यंत्रों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही, पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1,200 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है।”

उन्होंने बताया, “पराली को गांठों में बांधकर या मिट्टी में मिलाकर किसान लाभ कमा सकते हैं। यह मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ाता है।”

किसान सुनील कुमार ने भी पराली प्रबंधन को अपनाने की वकालत की। उन्होंने कहा, “पहले पराली जलाने से हवा जहरीली हो जाती थी और धुंध छा जाती थी। अब नई तकनीक से न केवल पर्यावरण सुरक्षित है, बल्कि खेत की मिट्टी भी मजबूत हो रही है।” उन्होंने अन्य किसानों से अपील करते हुए कहा कि सभी पराली जलाने की बजाय प्रबंधन तकनीकों को अपनाएं।

Source : IANS

डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

spot_img
spot_img
spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

-Advertisement-

Related News

-Advertisement-

Breaking News

-Advertisement-