वाशिंगटन, 4 सितंबर (khabarwala24)। पूर्व भारतीय राजदूत और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जडेजा मोटवानी इंस्टीट्यूट फॉर अमेरिकन स्टडीज के महानिदेशक मोहन कुमार ने ट्रंप प्रशासन के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें भारत को टैरिफ का महाराजा कहा गया था।
न्यूजवीक मैगजीन में रविवार को प्रकाशित अपने लेख क्या भारत वाकई टैरिफ किंग है? बिल्कुल नहीं में मोहन कुमार ने भारत के उच्च टैरिफ दरों की धारणा को व्यापक, लेकिन भ्रामक करार दिया।
मोहन कुमार ने तर्क दिया कि अमेरिका द्वारा शुरू किया गया टैरिफ युद्ध विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समझौतों का उल्लंघन है। साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि डब्ल्यूटीओ काफी समय से निष्क्रिय है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फिर से अपने आरोप को दोहराया कि भारत अमेरिकी निर्यात पर दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाता है।
उन्होंने कहा, भारत हमसे भारी टैरिफ वसूल रहा था, जो दुनिया में सबसे अधिक था। इसलिए हम भारत के साथ ज्यादा व्यापार नहीं कर रहे थे, लेकिन वे हमारे साथ व्यापार कर रहे थे, क्योंकि हम उनसे मूर्खतापूर्ण तरीके से टैरिफ नहीं ले रहे थे।
पूर्व विदेश सेवा अधिकारी ने टैरिफ की गणना को लेकर एक आम गलतफहमी को भी दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि साधारण औसत टैरिफ की तुलना में ट्रेड-वेटेड टैरिफ (व्यापार-भारित टैरिफ) अधिक उपयोगी तरीका है, क्योंकि भारतीय बाजार में आने वाले अधिकांश सामानों के लिए व्यापार-भारित लागू टैरिफ ही मायने रखता है।
उन्होंने बताया कि भारत का ट्रेड-वेटेड टैरिफ सम्मानजनक 4.6 प्रतिशत है, जबकि साधारण औसत टैरिफ करीब 16 प्रतिशत है।
कुमार ने स्वीकार किया कि भारत अपने किसानों को संरक्षित करने के लिए कृषि क्षेत्र में उच्च टैरिफ लागू करता है और अमेरिका का भारत के कृषि क्षेत्र को खोलने की मांग ऐसी है, जैसे भारत से आत्महत्या करने को कहा जाए, जिसे कोई भी चुनी हुई सरकार स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि ये मांगें अनुचित हैं, क्योंकि पश्चिमी देशों के किसान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी के लाभार्थी हैं।
कुमार ने यह भी उल्लेख किया कि इस धारणा के बावजूद, अमेरिकी निर्यातकों को भारत में कई एशियाई देशों की तुलना में बराबर या कम टैरिफ का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर जोर दिया, जहां अधिकांश आयात पर शून्य प्रतिशत टैरिफ है, जबकि वियतनाम में यह दर 8.5 प्रतिशत और चीन में 5.4 से 20 प्रतिशत है।
एफएम/एबीएम
Source : IANS
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