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डिजिटल दुनिया में पली-बढ़ी युवा पीढ़ी, सोशल मीडिया उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा: स्वर्ण सिंह

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नई दिल्ली, 8 सितंबर (khabarwala24)। नेपाल सरकार की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के विरोध में काठमांडू की सड़कों पर उतरे युवाओं और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई। न्यू बनेश्वर क्षेत्र में हुए इस टकराव में 10 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

स्थानीय प्रशासन ने चार महत्वपूर्ण इलाकों में कर्फ्यू लगाया है, जिनमें शीतल निवास (राष्ट्रपति कार्यालय) महाराजगंज क्षेत्र, ग्रीन हाउस (उपराष्ट्रपति कार्यालय) लैंचौर क्षेत्र, रायणहिती दरबार संग्रहालय क्षेत्र और सिंह दरबार क्षेत्र शामिल हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ काठमांडू की सड़कों पर मार्च कर रहे नेपाली युवाओं पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने कहा कि यह पूरा मामला लगभग एक साल से चल रहा है। पिछले सितंबर में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए डिजिटल जवाबदेही जरूरी है। इसके बाद सरकार ने कहा कि इनमें से ज्यादातर प्लेटफॉर्म्स विदेशी कंपनियों द्वारा चलाए जाते हैं और उन्हें नेपाल के संचार मंत्रालय के तहत पंजीकरण कराना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने भी सोशल मीडिया की जवाबदेही पर जोर दिया था। हालांकि, किसी भी कंपनी ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, जिसके बाद सरकार ने 26 सोशल मीडिया कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले से युवा पीढ़ी में भारी आक्रोश फैल गया। यह पीढ़ी डिजिटल दुनिया में पली-बढ़ी है और सोशल मीडिया उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

स्वर्ण सिंह ने आगे कहा कि आज, डिजिटल मीडिया केवल समाज तक सूचना पहुंचाने तक सीमित नहीं रह गया है। सोशल मीडिया आजीविका का एक नया स्रोत और विरोध प्रदर्शन का एक जरिया बन गया है। इसका इस्तेमाल दुनिया भर में तरह-तरह के नरेटिव गढ़ने के लिए भी किया जा रहा है, जिससे समाज में कुछ चिंताएं पैदा होती हैं। जैसा कि नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अपनी राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा को लेकर चिंतित है। प्रदर्शनकारी व्यापक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जिसे अक्सर सोशल मीडिया पर उजागर किया जाता है और वे अपनी आजादी की मांग करते हैं। ऐसी अफवाहें राष्ट्रीय हितों के लिए खतरा बन सकती हैं।

एकेएस/डीएससी

Source : IANS

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