नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (khabarwala24)। दिल्ली के भारत रत्न सी सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम, एनएएससी परिसर में नेशनल कॉन्क्लेव ‘वीविंग इंडिया टुगेदर: प्राकृतिक रेशे, नवाचार और उत्तर पूर्व व उससे आगे की आजीविका’ का आयोजन हुआ। इस संगोष्ठी का उद्देश्य प्राकृतिक रेशों के इस्तेमाल, स्थानीय कारीगरों की कला और नवाचारों को बढ़ावा देना है, खासकर उत्तर पूर्व के इलाकों में।
इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों से आए हमारे भाई-बहन यहां उपस्थित हैं। वे विभिन्न प्रकार के बुनाई कार्यों में लगे हुए हैं, जिनमें कमल के फूल के तंतु, अनानास के रेशे और अन्य स्थानीय घास के रेशे शामिल हैं। ये सभी स्थानीय संसाधनों से जुड़े हुए हैं और उनकी कारीगरी एक अनूठी पहचान रखती है।
कार्यक्रम में ओडिशा की हैंडलूम कारीगर अनुश्यमता ने अपने काम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनका हाथ से किया गया काम परंपरागत और प्राकृतिक रंगों से रंगाई की प्रक्रिया पर आधारित है। इसी तरह, ओडिशा की एक अन्य कारीगर रुक्मदी ने बताया कि उनका काम ‘कटपद’ नामक प्राकृतिक रंगाई तकनीक से जुड़ा है। वे पेड़ की छाल, इमली के बीज, गौमूत्र और पौधों के अर्क से रंग निकालते हैं। फिर इन रंगों का उपयोग करके पारंपरिक तरीके से पानी में रंग घोलकर सूती कपड़े को हाथ से बुनाई करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से हाथ से होती है।
मणिपुर की कारीगर गुरुमेम जीतेश्वरी देवी ने उत्तर पूर्व में विकास की बात करते हुए khabarwala24 से कहा, “पहले हमारे समाज के केवल कुछ लोग ही दिल्ली आते थे और ज्यादातर लोग उपलब्ध अवसरों से अनजान थे। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर महिला और नागरिक को यह जानकारी मिल रही है कि ये अवसर सभी के लिए हैं और इनका लाभ हर कोई उठा सकता है।”
मणिपुर की एक अन्य कारीगर तोंगब्राम बिजियाशंती ने बताया कि वे अपने राज्य में प्रचुर मात्रा में मिलने वाले कमल के फूल के तंतु से कपड़े बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनके काम का उल्लेख किया था, जिससे उनका मनोबल बढ़ा था।
लद्दाख की कारीगर डॉ. जिगमित ने कहा, “जब हम पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व की बात करते हैं, तो वह डिजिटल इंडिया के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। जी20 सम्मेलन में पश्मीना शॉल को प्रमोट करना उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। इसके अलावा कृषि सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी विकास कार्य हो रहे हैं।”
इस संगोष्ठी के माध्यम से भारत के विविध प्राकृतिक रेशों और हाथ की कारीगरी को नई पहचान मिली है, जो देश की संस्कृति और आजीविका दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
Source : IANS
डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।