रांची, 25 सितंबर (khabarwala24)। झारखंड में शराब घोटाले को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर घोटाले की जांच में गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उन्होंने घोटाले की जांच कर रहे एसीबी (एंटी-करप्शन ब्यूरो) में शीर्ष स्तर पर हाल में हुए फेरबदल पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
मरांडी ने पत्र में लिखा कि बहुचर्चित शराब घोटाले में सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस प्रकरण में निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, पूर्व आईएएस अमित प्रकाश, झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (जेएसबीसीएल) के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और नकली होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधु गुप्ता सहित कई बड़े लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भी भेजा गया, लेकिन एसीबी की लापरवाही से लगभग सभी मुख्य आरोपी जमानत पर बाहर आ गए।
बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि एसीबी ने जानबूझकर इन आरोपियों के खिलाफ 90 दिनों की समयसीमा के भीतर अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं की। इसके चलते निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे, पूर्व आईएएस अमित प्रकाश, जेएसबीसीएल के पदाधिकारी, मार्शन कंपनी के कर्मचारी और छत्तीसगढ़ के कारोबारी सहित कई आरोपियों को राहत मिल गई। यह किसी सामान्य चूक का मामला नहीं, बल्कि आरोपियों को बचाने की सोची-समझी साजिश है।
मरांडी ने दावा किया कि जब जांच एजेंसी ही समय पर कार्रवाई नहीं करेगी, तो न्याय की उम्मीद करना कठिन है।
उन्होंने एसीबी में हालिया फेरबदल पर भी सवाल उठाए हैं। उनके मुताबिक, एसीबी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के साथ ही पांच अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।
मरांडी ने पूछा कि ये अधिकारी किन परिस्थितियों में एसीबी में पदस्थापित किए गए थे, फिर अचानक क्यों हटाए गए और अब वे कहां कार्यरत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच सीबीआई को सौंपी जाए। साथ ही एसीबी के उन अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए, जिन्होंने चार्जशीट दाखिल करने में लापरवाही बरती।
उन्होंने यह भी कहा कि एसीबी में हुए तबादलों के पीछे के कारणों और संबंधित अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों की जांच होनी चाहिए। भाजपा नेता ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने इस मामले में तत्काल और ठोस कार्रवाई नहीं की तो यह माना जाएगा कि घोटाले को सरकारी संरक्षण प्राप्त है।
Source : IANS
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