रांची, 18 दिसंबर (khabarwala24)। कांग्रेस नेता राकेश सिन्हा ने दावा किया कि ‘मनरेगा’ का नाम बदलने को लेकर अब न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि सत्तापक्ष के लोगों की तरफ से भी विरोधी स्वर सुनने को मिल रहे हैं। सभी के जेहन में यही सवाल उठ रहा है कि आप भला ‘मनरेगा’ का नाम कैसे बदल सकते हैं। इसका नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है। ऐसी स्थिति में इसे बदलने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
उन्होंने गुरुवार को समाचार एजेंसी khabarwala24 से बातचीत करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमेशा से ही श्रमिकों के हित और हक में आवाज उठाई। उन्होंने हमेशा से ही श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता दी। इसी को देखते हुए श्रमिकों को लाभान्वित करने के लिए बनाई गई मनरेगा योजना का नाम महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह अफसोस की बात है कि केंद्र सरकार ने इसका नाम बदल दिया, लेकिन अब इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
राकेश सिन्हा ने कहा कि आप गांधी के ही देश में उसके नाम से चल रही योजना को कैसे बदल सकते हैं? यह निंदनीय है। हम मांग करते हैं कि इस मुद्दे को स्थायी समिति के पास भेजा जाए, ताकि हम किसी भी प्रकार के सार्थक नतीजे पर पहुंच पाए। गांधी के नाम से चल रही योजनाओं में किसी भी प्रकार का फेरबदल बर्दाश्त की सीमा से बाहर है।
उन्होंने आगे कहा कि मंडी से भारतीय जनता पार्टी की सांसद ने यहां तक कह दिया था कि ‘रघुपति राघव राजा राम’ देश का नेशनल एंथेम होना चाहिए। अब जब कोई सांसद इस तरह का बयान देने पर उतारू हो जाए तो क्या कहीं पर किसी भी प्रकार की चर्चा की गुंजाइश बचती है? भाजपा में बुद्धिजीवी वर्ग के लोग ही भरे पड़े हुए हैं।
साथ ही, उन्होंने साफ किया कि हमें श्रीराम के नाम से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मेरा सीधा सा सवाल है कि आप लोग गांधी के देश में ही उन्हें क्यों नहीं मान रहे हो? आप लोगों को गांधी से क्या दिक्कत है? राम जी तो हम सभी लोगों के अराध्य हैं। वे 140 करोड़ लोगों के अराध्य हैं।
उन्होंने देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जारी प्रदूषण के कहर पर चिंता जताई और केंद्र सरकार पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों से केंद्र में आपकी सरकार है, लेकिन आपने अब तक प्रदूषण से निपटने के लिए क्या कदम उठाए? जवाब स्पष्ट है कि कुछ भी नहीं किया। दिल्ली की जनता आज की तारीख में प्रदूषित वातावरण में सांस लेने को बाध्य हो चुकी है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? इसका जवाब केंद्र सरकार को देना चाहिए, ताकि पूरी वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके। सच्चाई है कि इतने सालों के शासनकाल में केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया। इस सरकार ने सभी जांच एजेंसियों को विपक्ष के ऊपर लगाए रखा, ताकि उन पर एक तरह का मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके।
राकेश सिन्हा ने आगे कहा कि आज की तारीख में देशभर में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं, रुपया गिर रहा है, लेकिन केंद्र सरकार को इससे कोई लेना देना नहीं है। ये लोग सिर्फ पूरी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए कर रहे हैं, ताकि इनके खिलाफ कोई भी आवाज उठाने वाला न रहे। ये लोग विरोधी आवाजों से डरते हैं। आलोचनाएं इन्हें पसंद नहीं है।
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