अंबिकापुर, 7 सितंबर (khabarwala24)। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण रविवार रात लग रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह चंद्र ग्रहण बेहद खास है। यह भारत सहित अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश नारायण मिश्रा ने इस चंद्र ग्रहण के ज्योतिषीय महत्व और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया।
पंडित मिश्रा का मानना है कि यह खगोलीय घटना केवल विज्ञान की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
khabarwala24 से बात करते हुए पंडित योगेश नारायण मिश्रा ने बताया कि भारत के मानक समय के अनुसार चंद्रग्रहण रविवार रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण का मध्य समय रात 11 बजकर 41 मिनट पर होगा, जबकि इसका समापन रात 1 बजकर 27 मिनट पर होगा। कुल मिलाकर यह ग्रहण लगभग 3 घंटे 30 मिनट तक चलेगा, जो इसे अब तक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण बनाता है।
इस खगोलीय घटना को भारत के अलग-अलग हिस्सों में पूरी तरह से देखा जा सकेगा, इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से इसका सूतक काल मान्य होगा।
ज्योतिषाचार्य मिश्रा ने आगे बताया कि इस चंद्रग्रहण का सबसे शुभ प्रभाव चार राशियों मेष, वृश्चिक, कन्या और धनु पर पड़ेगा। इन राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण नई ऊर्जा, सफलता और सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। जबकि बाकी बची आठ राशियों के लिए यह चंद्रग्रहण थोड़ा सावधानी बरतने का समय होगा। इन जातकों को इस दौरान मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, मान-सम्मान की हानि या पारिवारिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि जिन राशियों के लिए यह ग्रहण अनुकूल नहीं है, वे लोग इस समय अपने गुरु मंत्र या इष्ट देवता के मंत्र का जाप अवश्य करें। इससे ग्रहण के दोष से राहत मिलती है और मानसिक शांति बनी रहती है। साथ ही, ग्रहण के समय दान करना भी बेहद शुभ माना गया है। ग्रहण के समय ही दान की चीजें निकालकर अलग रख दें और अगली सुबह किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें।
ग्रहण को लेकर कुछ सावधानियां भी बताई गई हैं। पंडित योगेश नारायण मिश्रा ने स्पष्ट किया कि ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और किसी भी नुकीली या तेज धारदार चीज से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में ग्रहण की विकिरणें नुकसानदायक हो सकती हैं।
उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखना उचित नहीं है, क्योंकि इससे मानसिक अशांति और मनोरोग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पीके/एबीएम
Source : IANS
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