बिहार चुनाव 2025: डेढ़ दशक में पातेपुर सीट पर भाजपा और राजद में कड़ा मुकाबला, इस बार कौन मारेगा बाजी?

-Advertisement-
-Advertisement-
Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
-Advertisement-

पटना, 17 अक्टूबर (khabarwala24)। वैशाली जिले में स्थित पातेपुर विधानसभा क्षेत्र अपने समृद्ध राजनीतिक इतिहास, कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित यह सीट बिहार की सियासत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पातेपुर का गठन 1951 में हुआ था। 1952 से 2020 तक इस सीट ने 19 बार चुनाव देखे, जिसमें 1952 और 1991 के उपचुनाव शामिल हैं।

यहां कांग्रेस, राजद और जनता दल ने तीन-तीन बार, जबकि भाजपा, जनता पार्टी और संयुक्त समाजवादी पार्टी ने दो-दो बार जीत हासिल की। सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, सीपीआई और लोजपा ने एक-एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया। वर्तमान में भाजपा के लखेंद्र रौशन विधायक हैं, जिन्होंने 2020 में राजद के शिवचंद्र राम को हराया था। इससे पहले 2015 में इस सीट पर राजद और 2010 के चुनाव में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की थी। कुल मिलाकर बीते डेढ़ दशक में इस सीट पर बीजेपी और राजद उम्मीदवार में कड़ी टक्कर रही है।

1985 के बाद के चुनावों में यह सीट कई बार कांग्रेस, जदयू, राजद, लोजपा और भाजपा के बीच पलटी। खास तौर पर प्रेमा चौधरी और महेंद्र बैठा जैसे नेताओं का इस सीट पर दबदबा रहा। पातेपुर में रविदास, पासवान, कुर्मी और कोरी मतदाता बहुसंख्यक हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं।

बूढ़ी गंडक और बाया नदियों के किनारे बसा यह क्षेत्र उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। यहां धान, गेहूं और मक्का की खेती अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। स्थानीय बाजार के अलावा अनाज का व्यापार मुख्य रूप से महनार बाजार में होता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की बात करें तो पातेपुर का श्रीराम-जानकी मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। यह मंदिर भव्य और प्राचीन है, जिसमें भगवान राम, लक्ष्मण, मां जानकी और हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं। यह रामानंदी संप्रदाय के संतों के लिए भी तीर्थस्थल है। हर रामनवमी पर पातेपुर हाईस्कूल मैदान में एक माह तक मेला आयोजित होता है।

इसके अलावा पातेपुर प्रखंड के डभैच्छ स्थित बाबा दरवेश्वरनाथ धाम लगभग पांच सौ साल पुराना है। यह तिरहुत, सारण और कोशी प्रमंडल में धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।

Source : IANS

डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

-Advertisement-

Related News

-Advertisement-

Breaking News

-Advertisement-