नई दिल्ली, 12 नवंबर (khabarwala24)। लद्दाख में वायुसेना की सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण एयरफील्ड ऑपरेशनल हो गई है। यह पूर्वी लद्दाख में स्थित न्योमा एयरफील्ड है। खास बात यह है कि यह एयरफील्ड दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में एक है।
बता दें कि यह एयरफील्ड चाइना बॉर्डर से केवल कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। बुधवार को यहां भारतीय वायुसेना का विमान उतरा। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह एयरफील्ड हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक गेम चेंजर जैसा होगा। लद्दाख में भारतीय वायुसेना को न्योमा एयरफील्ड के रूप में तीसरा फाइटर एयरबेस मिला है।
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने न्योमा एयरफील्ड का उद्घाटन किया है। वायुसेना के मुताबिक, बुधवार को न्योमा एयरफील्ड पर एयरफोर्स का सी-130 सुपर हरक्यूलिस विमान पहुंचा। इसके साथ ही एलएसी के बेहद करीब स्थित न्योमा एयर बेस ऑपरेशनल हो गया है। न्योमा एयरफील्ड के वायुसेना में शामिल होने के बाद अब वायुसेना को लद्दाख से फाइटर ऑपरेशन के लिए तीसरा एयर बेस मिल गया है। यहां करीब 13700 फीट की ऊंचाई पर भारतीय वायुसेना के न्योमा एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड करके नया फाइटर बेस तैयार किया गया है।
यह करीब 2.7 किलोमीटर लंबा रनवे है। इसका निर्माण बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने पूर्वी लद्दाख के न्योमा में किया है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इसे लद्दाख में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए स्टेजिंग ग्राउंड के रूप में विकसित किया गया है। यह दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्रों में से एक है, जो हमारे सशस्त्र बलों के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। न्योमा इलाके में बनाई गई यह एयरफील्ड बेहद ऊंचाई पर स्थित लड़ाकू हवाई क्षेत्र है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एयरफील्ड चाइना बॉर्डर से कुछ ही किलोमीटर दूर है। भारतीय वायुसेना का यह एयरबेस बनकर पूरी तरह से तैयार है। अब यहां वायुसेना के लड़ाकू विमान भी उड़ान भर व उतर सकेंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परियोजना का शिलान्यास किया था। एलएसी पर चीनी सेना को देखते हुए यह फैसला काफी अहम था। वहीं बीते दिनों लद्दाख में ही भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को बेहतर करने के मिशन में भी एक बड़ी उपलब्धि हासिल की थी। भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया था।
यह एयर डिफेंस सिस्टम भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित किया। ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण थल सेना की एयर डिफेंस विंग के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ था। इस दौरान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ही यह एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किया है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, एयर डिफेंस सिस्टम का परीक्षण करते समय सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों ने तेज गति से उड़ रहे दो लक्ष्यों पर सटीक वार किए। यह परीक्षण अत्यधिक ऊंचाई और विरल वायुमंडल वाले क्षेत्र में किया गया, जहां सामान्य संचालन भी कठिन होता है।
Source : IANS
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