Khabarwala24 News Who will Be India Next Vice President: भारत में संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां हमेशा से चर्चा का विषय रही हैं। खासकर जब बात उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद की हो, तो सियासी गलियारों में हलचल और तेज हो जाती है। हाल ही में जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के उपराष्ट्रपति (Vice President) पद से इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार कर लिया है। इसके बाद से ही अगले उपराष्ट्रपति के नाम को लेकर कयासों का बाजार गर्म है।
सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक, हर कोई अपने-अपने दावे कर रहा है। लेकिन सवाल वही है – अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा? इस लेख में हम उन प्रमुख नामों की चर्चा करेंगे, जो इस रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं, साथ ही उनकी ताकत और कमजोरियों का विश्लेषण भी करेंगे।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा और नई नियुक्ति की जरूरत
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब अगले उपराष्ट्रपति (Vice President) के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव छह महीने के भीतर, यानी सितंबर 2025 तक पूरा करना अनिवार्य है। इसका मतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह नियुक्ति हो जानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने X हैंडल पर धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है, जिससे यह साफ हो गया है कि उनकी वापसी की कोई संभावना नहीं बची है। अब सवाल यह है कि बीजेपी और एनडीए गठबंधन इस मौके का कैसे फायदा उठाएंगे, खासकर बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए।
उपराष्ट्रपति (Vice President) का पद और उसकी अहमियत
उपराष्ट्रपति (Vice President) का पद भारत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है। यह न केवल एक औपचारिक पद है, बल्कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का Ex-officio chairman भी होता है। संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों द्वारा Secret ballot के माध्यम से किया जाता है। लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में सत्ताधारी पार्टी का दबदबा इतना है कि व्हिप के जरिए मतदान को नियंत्रित किया जाता है। इसका मतलब साफ है – जो बीजेपी चाहेगी, वही उम्मीदवार उपराष्ट्रपति बनेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव और बीजेपी की रणनीति
पिछले दस सालों में बीजेपी की रणनीति को देखें तो यह साफ है कि संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां हमेशा आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर की जाती हैं। बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव इस नियुक्ति पर गहरा असर डाल सकते हैं। बीजेपी चाहेगी कि इस नियुक्ति के जरिए वह बिहार में अपनी स्थिति को और मजबूत करे। बिहार की सियासत में जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय प्रभाव बहुत मायने रखते हैं। इसलिए, जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें से ज्यादातर बिहार से जुड़े हुए हैं।
बिहार से जुड़े तीन प्रमुख नाम
बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तीन नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं:
1. हरिवंश नारायण सिंह: सबसे मजबूत दावेदार
हरिवंश नारायण सिंह, जो वर्तमान में राज्यसभा के deputy chairman हैं, इस रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं। उनके पक्ष में कई बातें हैं:
- जेडीयू से ताल्लुक: हरिवंश जनता दल (यूनाइटेड) से हैं, जो बीजेपी की सहयोगी पार्टी है। उनकी नियुक्ति से एनडीए की एकता और मजबूत होगी।
- प्रधानमंत्री का भरोसा: हरिवंश को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। उनकी नजदीकी बीजेपी के लिए एक बड़ा प्लस पॉइंट है।
- अनुभव: राज्यसभा के उपसभापति के रूप में उनके पास इस पद का पहले से अनुभव है। वह राज्यसभा की कार्यवाही को संभालने में माहिर हैं।
- बिहार कनेक्शन: बिहार से होने के कारण उनकी नियुक्ति से बीजेपी को बिहार में सियासी फायदा मिल सकता है।
हालांकि, बीजेपी और शाह-मोदी युग में चीजें इतनी आसान नहीं होतीं। बीजेपी की रणनीति में अक्सर वह नाम सामने आता है, जिसकी चर्चा कम होती है। फिर भी, हरिवंश का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है।
2. रामनाथ ठाकुर: ईबीसी वोट बैंक की उम्मीद
स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर का नाम भी चर्चा में है। कर्पूरी ठाकुर बिहार की सियासत में एक बड़ा नाम हैं और हाल ही में उन्हें Bharat Ratna से सम्मानित किया गया है। रामनाथ की नियुक्ति से बीजेपी को EBC (Extremely Backward Classes) वोट बैंक में पैठ बनाने में मदद मिल सकती है। लेकिन उनकी उम्मीदवारी की संभावना कम है क्योंकि:
- उनके पिता को हाल ही में भारत रत्न मिला है, जिससे बीजेपी को पहले ही सियासी फायदा मिल चुका है।
- उपराष्ट्रपति के लिए अनुभव और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान में रामनाथ थोड़े कमजोर पड़ सकते हैं।
3. नीतीश कुमार: नाम तो है, लेकिन संभावना कम
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी कुछ लोग उछाल रहे हैं। लेकिन उनकी उम्मीदवारी की संभावना न के बराबर है। कारण साफ हैं:
- स्वास्थ्य कारण: नीतीश का स्वास्थ्य राज्यसभा की लंबी और जटिल कार्यवाही को संभालने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा।
- सियासी रणनीति: नीतीश बिहार की सियासत में बीजेपी के लिए एक मजबूत सहयोगी हैं। उन्हें उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति कमजोर नहीं करना चाहेगी।
बीजेपी की अंदरूनी सियासत और अन्य नाम
बीजेपी और आरएसएस के बीच पार्टी अध्यक्ष को लेकर लगातार मंथन चल रहा है। इस बीच कई और नाम सामने आ रहे हैं, जो उपराष्ट्रपति की रेस में शामिल हो सकते हैं।
1. जे.पी. नड्डा: बीजेपी अध्यक्ष की नई पारी?
जे.पी. नड्डा, जो वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उनका कार्यकाल मार्च 2025 में खत्म हो रहा है। नड्डा की मोदी और शाह से नजदीकी जगजाहिर है। लेकिन उनके एक बयान ने आरएसएस और बीजेपी के बीच तनाव पैदा किया था, जिसके चलते 2024 के लोकसभा चुनाव में आरएसएस ने दूरी बनाई थी। अगर बीजेपी और आरएसएस के बीच तनाव बरकरार रहा, तो नड्डा को उपराष्ट्रपति बनाकर एक रास्ता निकाला जा सकता है।
2. निर्मला सीतारमण: महिला कार्ड, लेकिन कम संभावना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम भी चर्चा में है। दक्षिण भारत से होने और एक महिला होने के नाते उनकी नियुक्ति बीजेपी को क्षेत्रीय और लैंगिक संतुलन बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन राष्ट्रपति के रूप में पहले से ही एक महिला (द्रौपदी मुर्मू) होने के कारण उनकी संभावना कम मानी जा रही है।
3. राजनाथ सिंह: मजबूत नेता, लेकिन रेस में पीछे
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम भी चर्चा में है, लेकिन उनकी उम्मीदवारी के पीछे कोई ठोस आधार नहीं दिखता। राजनाथ बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण नेता हैं और रक्षा मंत्रालय में कई बड़े प्रोजेक्ट्स में उनकी भूमिका अहम है। उन्हें उपराष्ट्रपति बनाना बीजेपी के लिए रणनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है।
4. नितिन गडकरी: लोकप्रिय, लेकिन आरएसएस कनेक्शन बाधा
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स ने सरकार की साख बढ़ाई है। लेकिन उनकी आरएसएस पृष्ठभूमि और स्वतंत्र छवि उनकी उम्मीदवारी को कमजोर करती है।
5. मनोज सिन्हा: यूपी से होने का नुकसान
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम भी तेजी से उभरा है। लेकिन उनका सवर्ण (भूमिहार) होना और उत्तर प्रदेश से ताल्लुक उनकी संभावनाओं को कम करता है। बीजेपी बिहार पर ज्यादा फोकस करना चाहेगी।
एनडीए का बहुमत और सहयोगी दलों की भूमिका
एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 112 सांसद हैं, जो कुल 405 वोट बनाते हैं। यह जीत के लिए जरूरी 394 वोटों से ज्यादा है। इससे बीजेपी को अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने की पूरी छूट है। लेकिन सहयोगी दलों जैसे जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना का समर्थन जरूरी है। हरिवंश नारायण सिंह जैसे नाम से बीजेपी गठबंधन की एकता को और मजबूत कर सकती है।
विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास केवल 150 सांसद हैं, जिससे उनकी जीत की संभावना न के बराबर है। फिर भी, बीजेपी ऐसा उम्मीदवार चुनेगी, जो विपक्ष के साथ अनावश्यक टकराव से बच सके।
शशि थरूर: कांग्रेस को घेरने की रणनीति?
कई बड़े पत्रकारों ने अपने X हैंडल पर शशि थरूर का नाम उछाला है। थरूर ने हाल के वर्षों में कई बार केंद्र सरकार की नीतियों की तारीफ की है, जैसे Operation Sindoor और भारत की विदेश नीति। बीजेपी थरूर को आगे बढ़ाकर कांग्रेस को अलग-थलग करने की रणनीति अपना सकती है। लेकिन थरूर का बीजेपी में शामिल होना या सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनना मुश्किल है। साथ ही, बीजेपी ऐसे शख्स को उपराष्ट्रपति बनाना चाहेगी, जिस पर उसे पूरा भरोसा हो। इसलिए थरूर का नाम सिर्फ सियासी गॉसिप तक सीमित है।
हरिवंश सबसे आगे, लेकिन सस्पेंस बरकरार
फिलहाल हरिवंश नारायण सिंह का नाम सबसे मजबूत दिख रहा है। उनके अनुभव, जेडीयू से ताल्लुक और बिहार कनेक्शन उन्हें इस रेस में आगे रखते हैं। लेकिन बीजेपी की सियासत में कुछ भी पक्का नहीं होता। शाह और मोदी की रणनीति हमेशा चौंकाने वाली रही है। क्या हरिवंश ही अगले उपराष्ट्रपति (Vice President) होंगे, या कोई चौंकाने वाला नाम सामने आएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।