जानिए गाजियाबाद मुरादाबाद के बीच किस रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेने

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खबरwala 24 न्यूज हापुड़: गाजियाबाद से मुरादाबाद तक ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने की तैयारी तेजी से चल रही है। रेलवे अधिकारियों ने गाजियाबाद से गढ़मुक्तेश्वर तक के बीच करीब 73 किलोमीटर का रेलवे ट्रैक बदल दिया गया है। अब गढ़मुक्तेश्वर से मुरादाबाद तक के बीच पटरियों को बदलने का काम शुरू कर दिया गया है। अब से पहले गाजियाबाद से मुरादाबाद के बीच ट्रेनों की रफ्तार 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी। पटरियों के बदलने के बाद से इस ट्रैक पर रफ्तार 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी।

दिल्ली-मुरादाबाद रेलमार्ग पर कई राजधानी, शताब्दी सहित 50 से अधिक एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है। गाजियाबाद से मुरादबाद तक रेलमार्ग की दूरी करीब 145 किलोमीटर है। इस रेलमार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए कई दिनों से पटरियों को बदलने का काम किया जा रहा है। अब से पहले इस रेलमार्ग पर रेलवे की ओर से 52 किलोग्राम की पटरियों को बिछाया हुआ था। इन पटरियों के जर्जर होने के कारण आए दिन पटरी चटकने की शिकायत सामने आती रहती थी। इस समस्या का समाधान करने और इस रेलमार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए रेलवे ने यहां पर 60 किलोग्राम के भार वाली पटरियों को बिछाने का काम किया गया है।

क्या बोले रेलवे अधिकारी

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि गाजियाबाद से गढ़मुक्तेश्वर तक पटरी को बदलने का काम पूरा कर लिया गया है। अब गढ़मुक्तेश्वर से अमरोहा तक पटरियों को बदलने का काम चल रहा है। इसके बाद तीसरे चरण में अमरोहा से मुरादाबाद तक पटरियों को बदलने का काम होगा। पटरियों के बदलने के बाद से इस ट्रैक पर रफ्तार 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी।

पटरियों के बदलने से क्या होगा फायदा

पटरियों के बदलने से सबसे अधिक फायदा यात्रियों के समय का होगा। अभी तक रफ्तार कम होने और पटरियों पर काम चलने के कारण ट्रेनें देरी से संचालित हो रही थी। काम पूरा होने के बाद ट्रेनें रफ्तार से संचालित होगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि जो पटरियों को बदला जा रहा है। उनके कम से कम 15 साल तक ट्रैक पर किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

आठ किलोग्राम बढ़ाया गया पटरियों का वजन

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि गाजियाबाद से मुरादाबाद तक पटरियों को बदलने का काम चल रहा है। उनमें आठ किलोग्राम वजन ज्यादा जोड़कर पटरियों को बिछाया जा रहा है। यह पटरियां कुछ-कुछ डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर पर बिछी पटरियां जैसी है। इन पर हादसे की भी कम संभावना बनी रहती है।

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