Railway News: दिल्ली-मुंबई मार्ग पर कवच 4.0 की स्थापना, भारतीय रेलवे की सुरक्षा में नया कदम

-Advertisement-
-Advertisement-
Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
-Advertisement-

Khabarwala24 Railway News: भारतीय रेलवे ने अपनी स्वदेशी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 को दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा रेलखंड पर सफलतापूर्वक स्थापित कर लिया है। यह कदम रेलवे सुरक्षा को आधुनिक बनाने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

कवच 4.0 एक अत्याधुनिक तकनीकी प्रणाली है, जिसे भारत ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया है। यह प्रणाली रेल दुर्घटनाओं को रोकने और ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने में सक्षम है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण का हिस्सा बताया। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।

कवच 4.0 क्या है?

कवच 4.0 एक स्वदेशी Automatic Train Protection System है, जिसे ट्रेनों की गति की निगरानी और नियंत्रण के लिए डिजाइन किया गया है। इसे Safety Integrity Level 4 (SIL-4) के मानकों पर विकसित किया गया है, जो रेलवे सुरक्षा का सर्वोच्च स्तर है। यह प्रणाली ट्रेनों को आपस में टकराने, सिग्नल तोड़ने और अन्य संभावित दुर्घटनाओं से बचाने में मदद करती है। कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ था, और इसे 3 साल तक कठिन परीक्षणों से गुजरना पड़ा। South Central Railway (SCR) में इसका पहला संचालन 2018 में शुरू हुआ, और अनुभवों के आधार पर इसे और बेहतर करके कवच 4.0 तैयार किया गया। मई 2025 में इसे 160 किमी/घंटा की गति के लिए मंजूरी दी गई।

मथुरा-कोटा रेलखंड पर कवच 4.0 की स्थापना

दिल्ली-मुंबई मार्ग देश के सबसे व्यस्त और High-Density रेल मार्गों में से एक है। इस मार्ग के मथुरा-कोटा रेलखंड पर कवच 4.0 को बहुत कम समय में स्थापित किया गया है, जो भारतीय रेलवे की तकनीकी क्षमता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। कई विकसित देशों को ऐसी Train Protection System को विकसित और लागू करने में 20-30 साल लगे, लेकिन भारत ने इसे बहुत कम समय में हासिल कर लिया। RDSO (Research Designs and Standards Organisation) ने जुलाई 2024 में इस प्रणाली को स्वीकृति दी थी।

कवच 4.0 की विशेषताएं

कवच 4.0 एक जटिल और अत्याधुनिक प्रणाली है, जो कई उप-प्रणालियों से मिलकर बनी है। ये हैं:

  1. RFID टैग्स: ये टैग्स हर 1 किलोमीटर और प्रत्येक सिग्नल पर लगाए जाते हैं। ये ट्रेन की सटीक स्थिति बताते हैं।
  2. टेलीकॉम टावर्स: ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी और पावर सप्लाई के साथ हर कुछ किलोमीटर पर टावर्स लगाए जाते हैं। ये टावर्स लोको कवच और स्टेशन कवच के बीच संचार को संभव बनाते हैं।
  3. लोको कवच: यह ट्रैक पर लगे RFID टैग्स से जानकारी प्राप्त करता है और टेलीकॉम टावर्स के जरिए स्टेशन कवच से संचार करता है। यह ट्रेन के Braking System से भी जुड़ा होता है, ताकि आपात स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लग सके।
  4. स्टेशन कवच: प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्थापित यह प्रणाली ट्रेन की गति को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देती है।
  5. ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC): हाई-स्पीड डेटा कम्युनिकेशन के लिए ट्रैक के साथ-साथ OFC बिछाई जाती है।
  6. सिग्नलिंग सिस्टम: यह लोको कवच, स्टेशन कवच और टेलीकॉम टावर्स के साथ मिलकर काम करता है।

इन सभी प्रणालियों को भारी यात्री और मालगाड़ियों की आवाजाही के बीच बिना किसी व्यवधान के स्थापित और प्रमाणित किया जाता है। यह किसी Telecom Company को खड़ा करने जैसा जटिल काम है।

लोको पायलटों के लिए कवच के फायदे

कवच 4.0 लोको पायलटों के लिए गेम-चेंजर साबित हो रहा है। यह प्रणाली निम्नलिखित तरीकों से उनकी मदद करती है:

  • ब्रेकिंग में सहायता: आपात स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाने में मदद करता है।
  • कम दृश्यता में सुविधा: कोहरे या खराब मौसम में सिग्नल देखने के लिए बाहर झांकने की जरूरत नहीं। सारी जानकारी Dashboard पर उपलब्ध होती है।
  • सुरक्षा बढ़ाना: यह सिग्नल पासिंग और टकराव जैसी दुर्घटनाओं को रोकता है।

कवच की प्रगति और भविष्य की योजनाएं

भारतीय रेलवे ने कवच 4.0 को देशभर के रेल मार्गों पर अगले 6 साल में लागू करने का लक्ष्य रखा है। अब तक की प्रगति इस प्रकार है:

  • ऑप्टिकल फाइबर बिछाया गया: 5,856 किलोमीटर
  • टेलीकॉम टावर्स स्थापित: 619
  • स्टेशनों पर कवच स्थापित: 708
  • लोको पर कवच स्थापित: 1,107

ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित: 4,001 रूट किलोमीटर

रेलवे ने 30,000 से अधिक कर्मचारियों को कवच पर प्रशिक्षित किया है। इसके अलावा, IRISET (Indian Railway Institute of Signal Engineering and Telecommunications) ने AICTE से मान्यता प्राप्त 17 इंजीनियरिंग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है, ताकि B.Tech पाठ्यक्रम में कवच को शामिल किया जा सके।

भारतीय रेलवे की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

स्वतंत्रता के बाद 60 साल तक भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों की Train Safety Systems को लागू नहीं किया गया था। लेकिन अब कवच 4.0 के साथ रेलवे ने सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय रेलवे हर साल सुरक्षा पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करता है। कवच ऐसी कई पहलों में से एक है, जो रेल यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए शुरू की गई है।

आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

कवच 4.0 पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसके सभी उपकरण भारत में ही निर्मित किए जा रहे हैं। यह प्रणाली न केवल रेलवे की सुरक्षा को बढ़ाएगी, बल्कि Make in India और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को भी मजबूती देगी। रेल मंत्री ने इसे एक ऐसी उपलब्धि बताया, जो भारत की तकनीकी प्रगति और नवाचार की क्षमता को दर्शाती है।

कवच 4.0 की स्थापना के साथ भारतीय रेलवे ने न केवल अपनी तकनीकी क्षमता को साबित किया है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मथुरा-कोटा रेलखंड पर इसकी त्वरित तैनाती और भविष्य की योजनाएं रेलवे के आधुनिकीकरण और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। अगले कुछ वर्षों में, जब यह प्रणाली देश के अन्य रेल मार्गों पर लागू होगी, तो यह भारतीय रेलवे को और भी सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएगी।

कवच 4.0 न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भरता और नवाचार के सपने को साकार करने का प्रतीक भी है।

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi  से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

-Advertisement-

Related News

-Advertisement-

Breaking News

-Advertisement-