नई दिल्ली, 19 दिसंबर (khabarwala24)। योगासन हमारे शरीर और मन को स्वस्थ बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं। इन्हीं में से शलभासन एक महत्वपूर्ण योगासन है, जो शरीर को सशक्त बनाने के साथ रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है।
शलभासन हठयोग के सबसे प्रभावशाली आसनों में से एक है। ‘शलभ’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ ‘टिड्डा’ होता है। दरअसल, आसन की अंतिम मुद्रा एक टिड्डा के समान होती है, जिस वजह से इसे शलभासन कहा जाता है। इसके नियमित अभ्यास करने से शरीर में स्फूर्ति आती है और कई शारीरिक समस्याओं से लाभ मिलता है।
शलभासन को करने के लिए सबसे पहले योगा मेट पर पेट के बल लेट जाएं। अपने हाथों को आगे की ओर फैलाएं, हथेलियां ऊपर की ओर और पैर सीधे हों। माथा या ठोड़ी जमीन को छू रही हो। गहरी सांस लें और शरीर को स्थिर करें। सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। पैरों को सीधा रखें और घुटनों को न मोड़ें। इसके साथ ही हाथों को भी ऊपर की ओर उठाना है। यह कुछ सुपरमैन पोज जैसा है।
इस स्थिति में 10-30 सेकेंड तक रुकें। सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद में धीरे-धीरे पैरों और छाती को जमीन पर लाएं और विश्राम करें।
आयुष मंत्रालय के अनुसार शलभासन पीठ की मांसपेशियों को मजबूती देता है। कमर दर्द और साइटिका से राहत दिलाता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और जांघों व नितंबों की चर्बी घटाने में मदद करता है, जिससे शारीरिक मजबूती और मानसिक शांति मिलती है। खासकर जो लोग घंटों बैठकर काम करते हैं उनके लिए यह फायदेमंद है।
शलभासन से उदर को भी लाभ पहुंचता है और पाचन को सहायता मिलती है।पीठ के निचले हिस्से में अधिक दर्द होने पर इसे सावधानी के साथ करना चाहिए।
हालांकि, आसन के नियमित अभ्यास से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाया जा सकता है, लेकिन जिन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्या है या फिर कोई सर्जरी हुई है, तो वे ये योगासन करने से परहेज करें।
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