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Paan Ka Patta पान का पत्ता ही सिर्फ कत्था-सुपारी लगाकर क्यों खाया जाता है, और कोई पत्ता क्यों नहीं?

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Khabarwala 24 News New Delhi: Paan Ka Patta आपको याद होगा वर्ष 1978 में एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था ‘डाॅन’। जिसमें अमिताभ बच्चन ने शानदार भूमिका निभाई थी। फिल्म में गीत था ‘खइके पान बनारस वाला’ जिसे लिखा था गीतकार अंजान ने संगीत था कल्याण जी आनंद जी का और गाया था किशोर कुमार ने। हम सबने बचपन में यह गाना बहुत सुना है और आज भी यह गाना खूब सुना जाता है। लेकिन आपने कभी यह सोचा है कि इसमें पान का ही जिक्र क्यों हैं। किसी और पत्ते का क्यों नहीं। दुनिया भर में और भी पत्ते मौजूद है। उन्हें क्यों नहीं खाया जाता। उन पर भी तो कत्था, चूना, सुपारी लगाकर खाया जा सकता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

क्यों खाया जाता है पान का पत्ता ही ? (Paan Ka Patta)

पुराने समय में पान खाना बेहद शाही माना जाता था। कवि, संगीतकार, राज दरबारी आदि पान अपने साथ लेकर चला करते थे। पान खाने की प्रथा कब से शुरू हुई इस बात को लेकर कहा जाता है कि मुगलों के समय इसे खाने का चलन शुरू हुआ था। पहले इसमें सौंफ, इलायची मिलाकर खाना खाने के बाद खाया जाता था। मुगलों के बाद अंग्रेजों के समय में भी इसका इस्तेमाल इसी तरह होता रहा। फिर बाद में इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा।

क्या होते हैं फायदे?(Paan Ka Patta)

दरअसल पान के पत्ते को चबाने से पाचन क्रिया ठीक होती है। इसे खाने से कब्ज एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं और इसके साथ ही अल्सर जैसी बीमारी भी पान के पत्तों से ठीक हो जाती हैं। अब क्योंकि अकेले पेट चलाएंगे तो स्वाद नहीं आएगा इसीलिए कत्था, चूना, सुपारी लगाकर खाया जाता है। ताकि यह खाने में स्वादिष्ट लग सके।

पान के पत्ते की धार्मिक मान्यता (Paan Ka Patta)

पान के पत्तों को लेकर सनातन धर्म में कुछ मान्यताएं भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान देवताओं ने पान के पत्ते का इस्तेमाल करके भगवान विष्णु की आराधना की थी। आज भी पूजा के अनुष्ठानों में पान के पत्ते का बहुत महत्व होता है।

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