Khabarwala 24 News New Delhi : Dengue Prevention केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को अधिकारियों को डेंगू रोकथाम और जागरूकता के लिए 24 घंटे संचालित रहने वाली हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों और क्षेत्रों में इस मच्छर जनित रोग के मामले बार-बार सामने आते हैं। वहां अधिक ध्यान देने की जरूरत है। नड्डा ने मानसून की शुरुआत और डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर डेंगू की स्थिति और उसकी रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश (Dengue Prevention)
स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों को विशिष्ट डेंगू वार्ड बनाने का निर्देश दिया, जो ट्रेन्ड कर्मियों, दवाओं और इससे संबंधित अन्य संचालन व्यवस्था से सुसज्जित हों। क्लिनिकल फैसिलिटी का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए ‘रेफरल’ सिस्टम बनाने का निर्देश दिया है।
मृत्यु दर घटकर हुई 0.1% (Dengue Prevention)
स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, नड्डा को देश भर में डेंगू की स्थिति और मंत्रालय की तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें यह बताया गया कि केंद्रित, समयबद्ध और सहयोगात्मक गतिविधियों के परिणामस्वरूप डेंगू से होने वाली मृत्यु दर 3.3 प्रतिशत (1996) से घटकर 2024 में 0.1 प्रतिशत हो गई है।
मानसून में खतरा ज्यादा (Dengue Prevention)
मानसून की शुरुआत से उत्पन्न चुनौती और बरसात के मौसम के दौरान डेंगू के मामलों की बढ़ती संख्या के खतरे को रेखांकित करते हुए नड्डा ने तैयार रहने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को डेंगू के खिलाफ रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन संबंधी कदमों को मजबूत करने और इससे लड़ने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया।
सक्रिय काम का आग्रह (Dengue Prevention)
नड्डा ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे मुख्य रूप से उन राज्यों और क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करें, जहां से अकसर डेंगू के प्रकोप की खबर आती हैं। उन्होंने अधिकारियों से डेंगू की रोकथाम पर ठोस परिणाम लाने के लिए राज्यों के साथ सक्रिय रूप से काम करने का आग्रह किया।
अंतर-मंत्रालयी बैठक (Dengue Prevention)
उन्होंने डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर संवेदनशीलता के लिए, विशेष रूप से, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, नगर निगमों और स्थानीय स्वशासन निकायों को शामिल करते हुए अंतर-मंत्रालयी बैठक पर जोर दिया।