मुंबई, 22 सितंबर (khabarwala24)। बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं, जो बनना तो कुछ और चाहते थे, लेकिन किस्मत ने उनके लिए इंडस्ट्री का दरवाजा खोल दिया। ऐसे ही दो सितारे हैं, प्रेम चोपड़ा और डॉ. पलाश सेन, जिनकी जिंदगी एक अजनबी मोड़ ने बदल दी। कभी डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का सपना देखने वाले पलाश सेन अचानक माइक थामकर गायक बन गए, वहीं मामूली नौकरी से घर का गुजारा करने वाले प्रेम चोपड़ा भी फिल्मों में दिखने लग गए।
प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितंबर 1935 को हुआ था। वे लाहौर में पैदा हुए थे, लेकिन भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार शिमला आ गया। शिमला में ही उन्होंने पढ़ाई की और पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। उनके पिता की ख्वाहिश थी कि बेटा डॉक्टर बने या फिर कोई सरकारी अधिकारी, लेकिन प्रेम की दिलचस्पी रंगमंच में थी। वे थिएटर करने लगे और फिर नौकरी की तलाश में मुंबई आ गए। यहां रहकर उन्होंने एक अखबार में काम शुरू किया ताकि घर का गुजारा चलता रहे।
एक दिन लोकल ट्रेन में सफर करते वक्त एक अजनबी ने उनसे पूछा, ”फिल्म में काम करोगे?” तो प्रेम ने बिना सोचे ‘हां’ कर दी। उसी अजनबी के जरिए उन्हें पंजाबी फिल्म ‘चौधरी करनैल सिंह’ में काम करने का मौका मिला और यहीं से उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। यह फिल्म हिट रही और इसके बाद प्रेम चोपड़ा को हिंदी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे।
साल 1964 में आई फिल्म ‘वो कौन थी?’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई, जिसमें उन्होंने खलनायक का किरदार निभाया। इसके बाद वे बॉलीवुड के सबसे खूंखार विलेन बन गए। उनका डायलॉग ‘प्रेम नाम है मेरा… प्रेम चोपड़ा’ आज भी सिनेमा प्रेमियों की जुबां पर रहता है। उन्होंने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘शहीद’, ‘बॉबी’, ‘दूसरा आदमी’, ‘गुप्त’, और ‘कोई मिल गया’ जैसी फिल्में शामिल हैं। उन्होंने कई हीरो वाले रोल भी किए, लेकिन दर्शकों ने उन्हें विलेन के रूप में ज्यादा पसंद किया।
लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने कई अवॉर्ड्स जीते और अपने अभिनय से हर पीढ़ी को प्रभावित किया। वह 89 साल की उम्र में भी सिनेमा से जुड़े हुए हैं। हाल ही में वह आर्यन खान द्वारा निर्देशित सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ में नजर आए।
वहीं डॉ. पलाश सेन की कहानी एकदम अलग है लेकिन प्रेम चोपड़ा जितनी ही दिलचस्प है। उनका जन्म 23 सितंबर 1965 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई की और सर्जन बनने की दिशा में कदम बढ़ाया। लेकिन मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें संगीत से प्यार हो गया। 1998 में उन्होंने ‘यूफोरिया’ नाम से एक इंडी रॉक बैंड बनाया, जिसने हिंदी म्यूजिक को एक नई दिशा दी। उनके गाने ‘मायरी’, ‘धूम पिचक धूम’, और ‘जिया जाए न’ जैसे गानों ने लोगों के दिलों पर राज किया।
पलाश सेन अपने यूनिक अंदाज, इंडियन फोक स्टाइल और देसी रॉक म्यूजिक के लिए जाने जाते हैं।
संगीत की दुनिया में नाम कमाने के बाद पलाश सेन ने फिल्मों की तरफ भी रुख किया। उन्होंने ‘फिलहाल’ और ‘लक्ष्य’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया, हालांकि उनकी मुख्य पहचान एक गायक के रूप में ज्यादा लोकप्रिय रही। दिलचस्प बात यह है कि फिल्मों में उनकी एंट्री भी उतनी ही अप्रत्याशित थी जितनी प्रेम चोपड़ा की। इसके लिए उनका कोई प्लान नहीं था। बस म्यूजिक और पॉपुलैरिटी ने उन्हें सीधे पर्दे तक पहुंचा दिया। उन्हें कई म्यूजिक अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया है और वे आज भी युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा हैं।
पलाश सेन न सिर्फ गायक हैं, बल्कि डॉक्टर, लेखक और सोशल एक्टिविस्ट भी हैं। वह लाइव कॉन्सर्ट्स के जरिए अपनी कला का जादू बिखेरते रहते हैं।
Source : IANS
डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।