मुंबई, 4 सितंबर (khabarwala24)। टीचर्स डे पर हम सभी अपने जीवन में शिक्षकों के योगदान को याद करते हैं। सिर्फ स्कूल-कॉलेज की किताबें नहीं, बल्कि उनकी सिखाई बातें, समझाया हुआ ज्ञान और जीवन के गुर हमें आगे बढ़ाते हैं। बॉलीवुड फिल्मों ने भी कई बार शिक्षकों के किरदारों को एक अलग ही नजरिए से दिखाया है, जो सिर्फ पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि प्रेरणा देने वाले, मार्गदर्शक और जीवन बदलने वाले साबित हुए हैं।
इस टीचर्स डे पर कुछ ऐसी बॉलीवुड फिल्मों की बात करते हैं, जिनमें टीचिंग स्टाइल्स को बारीकी से समझाया गया।
तारे जमीन पर :- आमिर खान की फिल्म तारे जमीन पर में दिखाया गया है कि शिक्षक की सबसे बड़ी ताकत बच्चों के दिल से जुड़ना होता है। फिल्म में दर्शील ने ईशान अवस्थी नामक बच्चे का किरदार निभाया, जो डिस्प्रेक्सिया नाम की बीमारी से जूझ रहा है, जिसे आमतौर पर स्कूल में समझा नहीं जाता। वहीं, टीचर राम शंकर के किरदार में आमिर खान उसे प्यार और धैर्य के साथ पढ़ाते हैं। वह पहले उसी कमजोरियों को समझते हैं और फिर उन्हें दूर कर उसकी ताकतों को उभारते हैं। इस फिल्म ने मैसेज दिया कि टीचर को हर बच्चे की जरूरत, भावना और कठिनाइयों को समझना चाहिए ताकि वे सही दिशा में कोशिश कर सकें।
3 इडियट्स :- 3 इडियट्स में रैंचो का किरदार पढ़ाई को सिर्फ रटने के बजाय उसे समझने पर जोर देता है। यह किरदार आमिर खान ने निभाया है। रैंचो के पास पढ़ाने के कई मजेदार और क्रिएटिव तरीके होते हैं। इस फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षा में केवल किताबों को याद करना जरूरी नहीं है, बल्कि उसे दिल से समझना और एक्सपेरिमेंट करना जरूरी है, ताकि बच्चों को सही तरीके से आगे बढ़ाया जा सके।
चॉक एन डस्टर :- यह फिल्म टीचर्स के समर्पण और अनुशासन को दर्शाती है। इस फिल्म में दो महिला शिक्षकों की कहानी है, जो शिक्षा को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि मिशन मानती हैं। उनकी मेहनत और स्टूडेंट्स के प्रति लगाव दर्शाता है कि एक टीचर का असली रोल कितना अहम होता है। फिल्म हमें सिखाती है कि टीचिंग एक जिम्मेदारी है, जिसके लिए समर्पण और कड़ी मेहनत जरूरी है।
सुपर 30 :- ऋतिक रोशन की सुपर 30 मशहूर शिक्षक आनंद कुमार की बायोपिक है, जो गरीब और मेधावी छात्रों को आईआईटी की परीक्षा की तैयारी कराते हैं। आनंद कुमार का रोल बच्चों में आत्मविश्वास और उम्मीद जगाता है। वे बच्चों को यह भरोसा दिलाते हैं कि गरीबी या सामाजिक स्थिति कभी भी सपनों के रास्ते में बाधा नहीं बन सकती। फिल्म ने टीचिंग के एक नए पहलू को दर्शाया है, जिसमें प्रेरणा देना, बच्चों को सपनों के करीब लाना शामिल है।
हिचकी :- इस फिल्म में दिखाया गया है कि हर बच्चा खास होता है, भले ही वे सामान्य शिक्षा प्रणाली में फिट न बैठते हों। ऋतु के किरदार में रानी मुखर्जी खुद एक बीमारी से जूझ रही हैं, लेकिन वे स्पेशल बच्चों को पढ़ाने में विश्वास रखती हैं। उनकी पढ़ाने की तकनीक हर बच्चे की क्षमता को पहचानने और उसे बढ़ावा देने की है। इस फिल्म ने टीचिंग में सहानुभूति और समझदारी की जरूरत पर जोर दिया है। यह फिल्म समझाती है कि हर बच्चे की अलग जरूरत होती है और टीचर को उन्हें उसी हिसाब से पढ़ाना चाहिए।
पीके/एबीएम
Source : IANS
डिस्क्लेमर: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में Khabarwala24.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर Khabarwala24.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है।
Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Khabarwala24 पर. Hindi News और India News in Hindi से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर ज्वॉइन करें, Twitter पर फॉलो करें और Youtube Channel सब्सक्राइब करे।