Actor Pran Special प्राण को जब बेचने पड़े थे पत्नी के गहने, कई हिट फिल्में देने के बाद भी क्यों हुए पाई-पाई के मोहताज?

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Khabarwala 24 News New Delhi : Actor Pran Special हर फिल्म में एक हीरो और विलेन का होना जरूरी है, क्योंकि कोई भी कलाकार हीरो तब ही बनता है, जब उसके सामने कोई विलेन खड़ा हो। ऐसे में हमेशा से ही फिल्मों में विलेन को हीरो जैसा दमदार रखा जाता है। एक वक्त तो ऐसा भी था जब कई विलेन फिल्म के हीरो पर भी भारी पड़ जाते थे। इन्हीं में से एक कलाकार थे प्राण।

पान की दुकान पर मिल गई थी फिल्म (Actor Pran Special)

प्राण को पर्दे पर देख बेशक दर्शकों को उनसे नफरत हो जाती थी, लेकिन वहीं, असल जिंदगी में बहुत विनम्र, सहज और अनुशासित थे। उनका व्यक्तित्व भी लोगों को काफी लुभाता था। उनके इसी अंदाज पर मशहूर फिल्मकार और लेखक मोहम्मद वली भी फिदा गए थे। उन्होंने प्राण को एक पान की दुकान पर देखा और देखते ही उनकी पर्सनैलिटी और पान खाने के अंदाज से प्रभावित हो गए। ऐसे में उन्होंने प्राण को अपनी फिल्म ऑफर की और वह 1940 में पंजाबी फिल्म ‘यमलाजट’ से पर्दे पर छा गए।

बदल गई जिंदगी (Actor Pran Special)

भारत-पाकिस्तान का विभाजन होने से पहले प्राण करीब 20 फिल्मों में काम कर चुके थे। बंटवारे से 4 दिन पहले वह पत्नी की जिद पर 11 अगस्त, 1947 को इंदौर आ गए। दरअसल, एक्टर के बेटे का बर्थडे था और पत्नी ने उनसे जिद की थी कि अगर वह नहीं आएंगे तो वो बर्थडे सेलिब्रेट नहीं करेंगी। इस समय वह अपने एक रिश्तेदार के घर इंदौर में रह रही थीं। इसके सिर्फ 4 दिन बाद बंटवारा हो गया और पाकिस्तान का लाहौर अब विदेश बन गया था।

प्राण ने महीनों तक किया स्ट्रगल (Actor Pran Special)

बंटवारे के कारण प्राण लाहौर अपने घर लौट ही नहीं पाए। ऐसे में वह अपने रिश्तेदारों से कुछ पैसे लेकर इंदौर से बॉम्बे आ गए। उन्हें लगा था कि यहां उन्हें आसानी से काम मिल जाएगा, क्योंकि वह 20 शानदार फिल्में दे चुके हैं और मशहूर कलाकार हैं। काम की तलाश करते हुए एक्टर ताज होटल में पत्नी के साथ रुक गए। हालांकि, उन्होंने जैसा सोचा वैसा नहीं हुआ। उन्हें कई महीनों तक स्ट्रगल करना पड़ा। ऐसे में उनके पास पैसे खत्म होने लगे और एक होटल से दूसरे होटल बदलते गए।

बेचने पड़े पत्नी के गहने (Actor Pran Special)

पैसों की तंगी के कारण प्राण एक वक्त वो भी आया जब प्राण को पत्नी के कंगन गिरवी रखने पड़ गए। वहीं, प्राण ने फिल्मों में काम पाने का स्ट्रगल भी जारी रखा। आखिरकार करीब 6 महीनों की कड़ी मेहनत के बाद 1948 में उन्हें बॉम्बे टॉकीज की फिल्म में काम मिल गया।

बिना टिकट किया सफर (Actor Pran Special)

कहते है कि प्रोडक्शन मैनेजर तक पहुंचने के लिए उन्होंने तड़के लोकल ट्रेन ली, ताकी वह बिना टिकट के सफर कर सके। इसके बाद उनकी फिल्म ‘जिद्दी’ रिलीज हुई, जिसके लिए उन्हें 500 रुपये फीस मिली और प्राण फिर नए सफर के लिए तैयार हो गए। इसके बाद उन्हें एक के बाद एक प्रोजेक्ट्स मिलते गए। प्राण ने अपने लंबे करियर में शानदार फिल्में दीं। 12 जुलाई, 2013 को उन्होंने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उस समय एक्टर 93 साल के थे।

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