Khabarwala 24 News Hapur(साहिल अंसारी): आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हापुड़ में ’संस्कृत दिवस’ के अंतर्गत संस्कृत विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर संगीता अग्रवाल के नेतृत्व में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
वैश्विक स्तर पर संस्कृत भारत की ज्ञान परंपरा को स्थापित करती है। वेद, पुराण, उपनिषद् अथवा विभिन्न प्राच्य विद्याएं देववाणी में ही सृजित हैं। देववाणी हमारी विभिन्न भाषाओं का आधार है तथा भारतवर्ष की अस्मिता भी। कार्यक्रम का शुभारंभ विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे आचार्य प्रदीप शास्त्री, (उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ, विभाग संयोजक- संस्कृत भारती,गुरुकुल महाविद्यालय ततारपुर, हापुड़) महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर साधना तोमर एवं उपस्थित शिक्षिकाओं द्वारा वाग् देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं पुष्प अर्पित कर किया गया।

छात्राओं ने देववाणी में सरस्वती वंदना का गान किया। रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत गीत, नृत्य, देशभक्ति गीत, शिवस्त्रोत आदि की छात्राओं ने मनोरम प्रस्तुति दी। डॉली, मानसी, मीनू ,गुंजन, रमसा, श्रुति, दीप्ति, प्रियंका, प्रियांशी, बृजेश आदि छात्राओं ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आचार्य प्रदीप शास्त्री ने अपने व्याख्यान में सन् 1969 से वैश्विक स्तर पर संस्कृत दिवस मनाने की परंपरा को रेखांकित किया तथा प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रतियोगिताओं की जानकारी दी। संस्कृत श्रुतलेख तथा संस्कृत रंगोली प्रतियोगिता में विभाग की छात्राओं ने भागीदारी की।
श्रुतलेख प्रतियोगिता की निर्णायिका प्रो. पूनम भारद्वाज और प्रो. सरोजिनी थी। इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार कुमारी श्रुति मिश्रा, द्वितीय पुरस्कार कुमारी गुंजन और बृजेश कुमारी व तृतीय पुरस्कार कु. अंजलि को प्राप्त हुआ। संस्कृत रंगोली का निर्णय देते हुए प्रो. जया शर्मा तथा गृह विज्ञान विभाग की प्राध्यापिका सुश्री साधना ने कु0 गुन्जन. को प्रथम, कु0 डोली को द्वितीय, कु0 मानसी को तृतीय तथा कु0 मानसी शर्मा को प्रोत्साहरन पुरस्कार हेतु नामित किया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो0 साधना तोमर जी ने अपने संबोधन भाषण में विश्व की संपूर्ण भाषाओं की जननी के रूप में देववाणी की चर्चा की तथा श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले “संस्कृत दिवस“ की सभी को बधाई दी। साथ ही ’प्राचीन काल में इसी दिन से भारतवर्ष में शिक्षण सत्र आरंभ होता था’ इस तथ्य को रेखांकित किया। विभाग की अध्यक्षा प्रो.संगीता अग्रवाल ने कार्यक्रम के समापन पर देववाणी संस्कृत को नमन किया तथा सभी का आभार व्यक्त किया
