Khabarwala 24 News Solar Eclipse on Mars : Earth पृथ्वी पर सूर्य ग्रहणअनोखा होता है. इसमें चंद्रमा सूर्य को ठीक तरह से ढक लेता है. वहीं मंगल ग्रहण अलग तरह के होते हैं. उसके चंद्रमा, फोबोस और डीमोस की वजह से सूर्य ग्रहण अलग ही दिखते हैं. मंगल के दोनों चंद्रमा, फोबोस और डीमोस अपने अपने समय में मंगल और सूर्य के बीच में आ जाते हैं। दोनों पृथ्वी के चांद की तुलना में बहुत छोटे हैं. इस वजह से ये कभी सूर्य को पूरा नहीं ढक पाते हैं। ग्रहण में केवल धब्बे के रूप में दिखते हैं। मंगल पर ग्रहण का एक और असर देखा जाता है. ग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी कम आती है जिससे यहां की सतह ठंडी हो जाती है. इससे मंगल की सतह कहीं कहीं ज्यादा सिकुड़ जाती है. नासा ने पाया है कि उसका भेजा गया इन्साइट लैंडर ग्रहण के ऐसे असर की वजह से कुछ झुक जाता है. ऐसा पृथ्वी पर संभव ही नहीं है. वहीं पृथ्वी पर ग्रहण के दौरान, चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक रहा है, ऐसा लगता है।
नासा के रोवर करते रहते हैं रिकॉर्डिंग (Earth)
नासा के रोवर समय समय पर इन ग्रहणों की रिकॉर्डिंग करते रहते हैं। उसके पास ऑपर्च्यूनिटी, क्यूरोसिटी और पर्सिवियरेंस रोवर के रिकॉर्ड किए सूर्यग्रहण हैं। इनका अवलोकन कुछ रोचक जानकारी देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक समय ऐसा आएगा जब फोबोस मंगल के इतने पास आ जाएगा कि मंगल पर उसका पूर्ण ग्रहण दिखने लगेगा और तब यहां के ग्रहण में भी अंगूठी दिखने लगेगी जैसे पृथ्वी के सूर्य ग्रहण में दिखती है।
मंगल के नजदीक आ रहा फोबोस (Earth)
जहां चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता चला जा रहा है, वहीं मंगल ग्रह के चंद्रमा फोबोस के साथ ऐसा नहीं है. वह तो मंगल के नजदीक आ रहा है. फोबोस 7.65 घंटे, जबकि डीमोस 30.35 घंटों में मंगल का चक्कर लगाता है. इसलिए यहां ग्रहण जल्दी जल्दी देखने को मिलते हैं. फोबोस की मंगल पर ज्यादा बड़ी छाया दिखती है. ग्रहण के समय यह सूर्य की 40 फीसदी रोशनी रोकता है. डीमोस फोबोस के मुकाबले ज्यादा दूर है, पर छोटा है. इससे बहुत कम रोशनी रुक पाती है।