कानपुर में रिटायर्ड इंजीनियर को 70 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखकर ठगों ने 53 लाख रुपए ठग लिए। ठग खुद को मुंबई पुलिस और CBI अधिकारी बताते थे। पीड़ित रमेश चंद्र और उनकी पत्नी नीलम को घर से बाहर निकलने नहीं देते थे, वीडियो कॉल पर 24 घंटे निगरानी रखते थे। खाना नहीं खाने देते थे, शादी पार्टी में भी वीडियो कॉल चालू रखते थे। अब उनके खाते में सिर्फ 11 हजार रुपए बचे हैं। पत्नी की डायलिसिस का खर्च भी मुश्किल हो गया है। 15 दिसंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई।
ठगी की शुरुआत: अस्पताल में आया पहला फोन
3 अक्टूबर की सुबह करीब 10 बजे कानपुर के रानीघाट थाना क्षेत्र के कोहना उपवन सोसाइटी में रहने वाले रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट इंजीनियर रमेश चंद्र अपनी पत्नी नीलम को लाजपत नगर के मल्टी स्पेशियलिटी गुर्जर हॉस्पिटल में डायलिसिस कराने ले गए थे। तभी उनके फोन पर एक कॉल आई। कॉल करने वाले ने अपना नाम गौरव बताया और कहा कि उनके नाम से सिम लिया गया है, जिससे महाराष्ट्र की एक 19 साल की लड़की को परेशान किया गया। लड़की ने सुसाइड कर लिया है। कोलाबा पुलिस स्टेशन मुंबई से बोल रहा हूं, फोन उठाओ, आपके खिलाफ केस दर्ज हो गया है। रमेश ने कहा कि वह अस्पताल में हैं, बाद में बात करेंगे और फोन काट दिया।
एक घंटे बाद फिर कॉल आई। इस बार ठग ने कहा कि लड़की को परेशान करने का मामला है। रमेश ने फिर फोन काट दिया। डायलिसिस खत्म कर घर लौटे तो दोपहर डेढ़ बजे तीसरा फोन आया। खुद को कोलाबा पुलिस का उमेश मछिन्दर बताते हुए ठग ने कहा कि केस दर्ज हो गया है, अपनी पूरी डिटेल भेजो। जैसे ही डिटेल भेजी, वीडियो कॉल आई। पीछे खड़ा एक शख्स चिल्लाया, “इसके खिलाफ और केस हैं क्या?” ठग ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का केस है, जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दिया है कि रमेश ने 538 करोड़ के 10 प्रतिशत लेकर अपना खाता, चेक बुक और एटीएम इस्तेमाल करने दिया था।
CBI अधिकारी बनकर डराया, डिजिटल अरेस्ट शुरू
दोपहर 2:42 बजे एक और कॉल आई। इस बार ठग ने खुद को CBI अधिकारी एसके जायसवाल बताया। कहा कि आपको मुंबई जेल भेजा जाएगा, पत्नी और दोनों बच्चों को घर में नजरबंद कर दिया जाएगा। सारी संपत्ति और बैंक खाते सीज हो रहे हैं। सभी फोन सर्विलांस पर हैं। बैंक डिटेल भेजो। रमेश डर गए और डिटेल भेज दी। इसी के साथ उनका डिजिटल अरेस्ट शुरू हो गया।
53 लाख कैसे ठगे: एक-एक करके खाते खाली किए
4 अक्टूबर से पैसे की डिमांड शुरू हुई। ठगों ने कहा कि जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में RBI करेगा।
- पीपीएफ के 15,31,781 रुपए अलीगढ़ SBI से कानपुर SBI खाते में ट्रांसफर कराओ।
- शेयर्स बेचो, म्यूचुअल फंड रिडीम कराओ।
9 अक्टूबर को रमेश ने सब कर दिया। उसी दिन से ठगों ने 24 घंटे वीडियो कॉल शुरू कर दी। मोबाइल हमेशा चार्जिंग पर रहता था। किसी से बात करने नहीं देते थे।
- 9 अक्टूबर: SBI मेन ब्रांच से 2 लाख रुपए थानवी इलेक्ट्रिकल एंड मैकेनिकल के बैंक ऑफ बड़ौदा खाते में तिरुपति भेजे।
- 20 नवंबर: म्यूचुअल फंड रिडीम कर 23 लाख रुपए कर्री जगदीश बाबू के इंडसइंड बैंक खाते में आंध्र प्रदेश भेजे।
- 11 दिसंबर: पत्नी नीलम के ICICI खाते से 10 लाख रुपए आकांक्षा कामर्शियल के पारालेखमुंडी ब्रांच में ट्रांसफर किए।
21 नवंबर को ठग ने फर्जी सुप्रीम कोर्ट जज से 2 मिनट बात कराई। फर्जी जज ने कहा कि 48-72 घंटे में पैसा वापस आ जाएगा, बेल सिक्योरिटी के लिए 10 लाख जमा करो। रमेश ने 11 दिसंबर को 10 लाख और ट्रांसफर कर दिए। कुल 53 लाख रुपए ठग ले गए।
70 दिन का टॉर्चर: खाना तक नहीं खाने दिया
रमेश और नीलम ने बताया कि पहले दिन ठगों ने खाना नहीं खाने दिया। पांच दिन नौकरानी को घर नहीं आने दिया। बैंक जाने पर एक फोन से वीडियो कॉल, दूसरे से व्हाट्सएप चैट चलती रहती थी। बाहर जाने से पहले बताना पड़ता था कि कौन से रंग के कपड़े पहने हैं, किससे मिलने जा रहे हैं।
अमेरिका में रहने वाले क्लासमेट की बेटी की शादी में जाना था। ठगों से इजाजत ली। शादी में भी पूरे समय वीडियो कॉल चालू रही। नीलम ने कहा, “हम डर के मारे कुछ बता नहीं पाए। ठग बोले थे कि बच्चों पर अल्फा टीम लगी है, अमेरिका वाले बेटे को डिपोर्ट करा देंगे। उन्होंने हमे धमकाया कि नरेश गोयल के बारे में पूछताछ के लिए हमने एक दंपती को बुलाया था। जिसे नरेश के लोगों ने मार डाला था।”
पत्नी की डायलिसिस कैसे हुई, अब इलाज के पैसे नहीं
नीलम की दोनों किडनी खराब हैं, हफ्ते में दो बार डायलिसिस होती है। ठगों की निगरानी में ही अस्पताल जाते थे। अब खाते में सिर्फ 11 हजार रुपए बचे हैं। नीलम ने रोते हुए कहा, “आज तक अपना मकान नहीं खरीद पाए। सोचा था बेटे सेटल हो जाएंगे तो मकान लेंगे। सारी जमा पूंजी चली गई। अब डायलिसिस भी कितने दिन करा पाऊंगी, पता नहीं।”
रमेश ने बताया, “मैंने जिंदगी में एक रुपया रिश्वत नहीं ली। मेहनत की कमाई थी। बड़ा बेटा अमेरिका में MBA कर रहा है, उसे हर महीने 1500 डॉलर भेजते थे। छोटा बेटा नोएडा में B.Tech कर रहा है, उसे 15 हजार रुपए भेजते थे। अब कुछ नहीं बचा।”
पुलिस में शिकायत, अब क्या होगा?
15 दिसंबर को रमेश चंद्र ने रानीघाट थाने में केस दर्ज कराया। पुलिस साइबर सेल को मामले की जांच सौंपी गई है। पीड़ित परिवार उम्मीद करता है कि पैसा वापस मिल जाएगा और ठग पकड़े जाएंगे।
यह मामला एक बार फिर बता रहा है कि शिक्षित और समझदार लोग भी डिजिटल ठगी का शिकार हो सकते हैं। पुलिस बार-बार चेतावनी देती है कि कोई खुद को पुलिस या CBI अधिकारी बताकर पैसा मांगे तो तुरंत नजदीकी थाने में सूचना दें। वीडियो कॉल पर डराने की धमकी मिले तो भी घबराएं नहीं, असली पुलिस कभी फोन पर पैसा नहीं मांगती।
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