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बांग्लादेश में चरमपंथी हमलों की लहर पर अधिकार समूह ने जताई गंभीर चिंता

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पेरिस, 19 दिसंबर (khabarwala24)। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने शुक्रवार को बांग्लादेश में हाल के दिनों में हुई “भयावह चरमपंथी” हिंसक घटनाओं की कड़ी निंदा की।

फ्रांस स्थित जस्टिस मेकर्स बांग्लादेश (जेएमबीएफ) ने अपने बयान में कहा कि गुरुवार रात देश के विभिन्न हिस्सों में एक साथ हुए समन्वित हमलों से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश अत्यधिक असुरक्षा की स्थिति में पहुंच चुका है और सरकार अपने बुनियादी दायित्वों को निभाने में विफल रही है।

इन हमलों में देश के प्रमुख अखबारों प्रथम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्था छायानट, अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों, देश के इतिहास के महत्वपूर्ण प्रतीक बंगबंधु संग्रहालय के शेष ढांचों तथा चटगांव स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग के कार्यालय को निशाना बनाया गया।

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यह अशांति कट्टरपंथी संगठन इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की।

जेएमबीएफ के अनुसार, ढाका के कारवां बाजार में प्रथम आलो और डेली स्टार के कार्यालयों में की गई सुनियोजित तोड़फोड़, आगजनी और लूट केवल दो मीडिया संस्थानों पर हमला नहीं थी, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सत्य की खोज और स्वतंत्र पत्रकारिता पर सीधा हमला था।

संगठन ने कहा कि पत्रकारों की जान को खतरे में डालने की घटना और उन्हें बचाने के लिए हेलीकॉप्टर के बजाय दमकल विभाग की क्रेनों का इस्तेमाल किया जाना राज्य की घोर लापरवाही को दर्शाता है। इसके अलावा, घटना के दौरान संपादक परिषद के अध्यक्ष और एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ किया गया उत्पीड़न इस बात का सबूत है कि चरमपंथी ताकतें अब खुलेआम लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने का साहस कर रही हैं।

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जेएमबीएफ ने उसी रात चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग पर हुए पथराव को कानून-व्यवस्था की गंभीर गिरावट बताते हुए कहा कि यह हमला सरकार की गैर-जिम्मेदारी और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मानदंडों के प्रति उपेक्षा को दर्शाता है। संगठन ने कहा कि किसी विदेशी राजनयिक मिशन पर हमला बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, जिसकी जिम्मेदारी मौजूदा सरकार पर है।

अधिकार समूह ने ढाणमंडी स्थित छायानट भवन पर हमले को बांग्लादेशी संस्कृति और स्वतंत्र विचारधारा पर चरमपंथियों का सीधा प्रहार बताया।

साथ ही, बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के ऐतिहासिक निवास और ढानमंडी-32 स्थित बंगबंधु संग्रहालय के अवशेषों में की गई तोड़फोड़ और आगजनी को मुक्ति संग्राम, संविधान और राष्ट्रीय इतिहास की आत्मा पर हमला करार दिया।

जेएमबीएफ ने मयमनसिंह जिले में कथित ईशनिंदा के आरोप में एक निर्दोष हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या और बाद में उसके शव को जलाए जाने की घटना को सबसे “हृदयविदारक और निंदनीय” बताया।

संगठन ने कहा, “यह बर्बर कृत्य बांग्लादेश में मानवाधिकारों की भयावह गिरावट का प्रमाण है और यह साफ दर्शाता है कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।”

जेएमबीएफ ने सभी चरमपंथी हमलावरों, उनके संरक्षकों और आयोजकों की तत्काल गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग की। साथ ही, बांग्लादेशी अधिकारियों से मीडिया संस्थानों, सांस्कृतिक संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने का आह्वान किया।

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