नई दिल्ली, 11 सितंबर (khabarwala24)। भारत के जीवन बीमा उद्योग में वित्त वर्ष 23-35 के दौरान चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 14.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह जानकारी गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई।
वित्तीय सेवा संगठन, पीएल कैपिटल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय जीवन बीमा उद्योग पिछले दो दशकों (वित्त वर्ष 2005-25) में 11 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 1,203 अरब रुपए का हो गया है।
रिपोर्ट में बताया गया कि हाल ही में घोषित जीएसटी छूट से बीमा क्षेत्र की अफोर्डेबिलिटी में सुधार होगा, निरंतरता बढ़ेगी और पैठ बढ़ेगी, जिससे दीर्घकालिक विकास को मजबूती मिलेगी।
हालांकि, इससे अल्पकालिक लाभप्रदता संबंधी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं, क्योंकि बीमा कंपनियों की इनपुट टैक्स क्रेडिट तक पहुंच समाप्त हो जाएगी।
हाल के दशकों में लगातार विस्तार के बावजूद, भारत में जीवन बीमा की पहुंच वैश्विक मानकों से काफी नीचे बनी हुई है।
बीमा क्षेत्र की वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.8 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, यह विकसित बाजारों के औसत 5.6 प्रतिशत से काफी कम है। इसी प्रकार, भारत में बीमा घनत्व प्रति व्यक्ति मात्र 70 डॉलर रहा, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह 3,182 डॉलर था।
रिपोर्ट में बताया गया कि यह अंतर उद्योग के लिए एक बहु-दशकीय अवसर को उजागर करता है, खासकर जब परिवार वित्तीय साधनों में अपनी बचत का अधिक हिस्सा आवंटित कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि नॉमिनल जीडीपी के सालाना 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, साथ ही बढ़ती वित्तीय जागरूकता के साथ, जीवन बीमा भारत की घरेलू बैलेंस शीट का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनकर उभरेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, संरचनात्मक कारक जैसे सामाजिक सुरक्षा जाल का अभाव, बढ़ता मध्यम वर्ग और बढ़ती जीवन प्रत्याशा सुरक्षा और वार्षिकी उत्पादों की मांग को बढ़ावा देंगे।
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ऐतिहासिक रूप से, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) ने उत्पाद मिश्रण में अपना दबदबा बनाए रखा है, जिसे शेयर बाजार में तेजी और आकर्षक कर लाभों का लाभ मिला है।
हालांकि, रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ग्राहकों के नॉन-लिंक्ड विकल्पों की ओर रुझान बढ़ने के कारण यूलिप की हिस्सेदारी में नरमी आएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, सूचीबद्ध बीमा कंपनियों में यूलिप की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी गई है (वित्त वर्ष 25 में 35-65 प्रतिशत, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 16-55 प्रतिशत थी)।
एबीएस/
Source : IANS
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