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GST 2 जीएसटी कटौती से इंश्योरेंस प्रीमियम हुआ सस्ता, लेकिन फिर भी कटेगी ग्राहक की जेब, समझें क्या है पूरी कैलकुलेशन

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Khabarwala 24 News New Delhi: GST 2 जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% जीएसटी को पूरी तरह हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। यह नियम 22 सितंबर 2025 से लागू होगा, जिससे टर्म इंश्योरेंस, यूलिप (ULIP), फैमिली फ्लोटर और सीनियर सिटीजन प्लान जैसे सभी व्यक्तिगत इंश्योरेंस प्रीमियम टैक्स-मुक्त हो जाएंगे। इस कदम का उद्देश्य इंश्योरेंस को सस्ता और सुलभ बनाना है, ताकि ज्यादा लोग वित्तीय और स्वास्थ्य सुरक्षा का लाभ उठा सकें। हालांकि, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) पर छूट न मिलने से ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं मिल सकता।

जीएसटी हटाने का क्या है मतलब? (GST 2)

पहले, 100 रुपये के प्रीमियम पर 18 रुपये जीएसटी जोड़कर ग्राहकों को 118 रुपये चुकाने पड़ते थे। अब 22 सितंबर से प्रीमियम पर जीएसटी शून्य हो जाएगा। लेकिन इंश्योरेंस कंपनियों को अपने खर्चों (जैसे एजेंट कमीशन, मार्केटिंग, ऑफिस किराया) पर 18% जीएसटी देना होगा, जिसे वे पहले ग्राहकों से लिए गए जीएसटी से समायोजित (ITC) करती थीं। अब ITC न मिलने से कंपनियां यह लागत प्रीमियम में जोड़ सकती हैं।

उदाहरण से समझें: (GST 2)

  • मान लीजिए, एक कंपनी को 100 रुपये प्रीमियम मिलता है। इसके खर्च (70 रुपये) पर 18% जीएसटी यानी 12.6 रुपये लगता है।
  • पहले, कंपनी 18 रुपये (ग्राहक से लिया जीएसटी) में से 12.6 रुपये ITC के रूप में समायोजित कर केवल 5.4 रुपये सरकार को देती थी।
  • अब, जीएसटी शून्य होने से ITC भी नहीं मिलेगा। कंपनियां 12.6 रुपये की लागत ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क के रूप में वसूल सकती हैं।
  • नतीजा: 118 रुपये (प्रीमियम + जीएसटी) की जगह ग्राहक को लगभग 112.6 रुपये देने पड़ सकते हैं।

पुरानी पॉलिसी वालों के लिए क्या? (GST 2)

22 सितंबर 2025 के बाद रिन्यू होने वाली पॉलिसियों (जैसे हेल्थ इंश्योरेंस) पर जीरो जीएसटी का लाभ मिलेगा। हालांकि, ITC न मिलने से कंपनियां प्रीमियम में मामूली बढ़ोतरी कर सकती हैं। फिर भी, कुल लागत पहले की तुलना में कम रहेगी।

एक्सपर्ट्स की राय: (GST 2)

  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फैसला इंश्योरेंस सेक्टर के लिए गेम-चेंजर है। टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस सस्ता होने से ज्यादा लोग इसे खरीदेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। उनका कहना है कि रीइंश्योरेंस पर भी जीरो जीएसटी अच्छा कदम है, लेकिन ITC न मिलने से कंपनियों को 3% का नुकसान हो सकता है। पुरानी पॉलिसियों पर इसका ज्यादा असर होगा, क्योंकि प्रीमियम नहीं बढ़ाया जा सकता।”

क्या होगा असर? (GST 2)

हालांकि जीएसटी हटने से इंश्योरेंस सस्ता होगा, लेकिन ITC की अनुपस्थिति के कारण ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं मिलेगा। HSBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे सरकार को सालाना 1.2-1.4 बिलियन डॉलर का राजस्व नुकसान हो सकता है, जबकि इंश्योरेंस डिमांड में 15% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह कदम ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल बाय 2047’ के विजन को बढ़ावा देगा, लेकिन कंपनियों को लागत प्रबंधन पर ध्यान देना होगा।

 

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