Khabarwala 24 News New Delhi : Budget Car पिछले कुछ सालों में कारों की कीमत में काफी तेजी से इजाफा हुआ है और इसके पीछे पुर्जों के दामों में होती वृद्धि के साथ-साथ ज्यादा सेफ्टी फीचर्स के लिए होने वाले खर्चे जैसे फैक्टर्स मौजूद हैं। अब हालात ये हैं कि 5 लाख से कम कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी मार्केट में बेहद कम हो गई है। आज से एक दशक पहले तक अगर किसी को कार लेनी होती थी तो उसकी पहली पसंद बजट कारें हुआ करती थीं। लेकिन समय के साथ-साथ बजट कार को लेकर आम आदमी की पसंद और आम आदमी के लिए बजट कार की परिभाषा दोनों ही काफी तेजी से बदल रहे हैं।
मार्केट में कम हिस्सेदारी (Budget Car)
एक वक्त ऐसा होता था जब इस पोर्टफोलियो में मारुती, हुंडई, टाटा और रेनो जैसी सभी कंपनियों की कारें हुआ करती थीं और अब इस सेगमेंट में केवल मारुती सुजुकी रह गई है। 8 साल पहले तक मार्केट में 5 लाख या इससे कम कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी लगभग 33.6% हुआ करती थी जबकि 2023 में यह आंकड़ा कम होकर मात्र 0.3% रह गया है। कार कंपनियों ने ज्यादा कमाई करने के लिए अब बजट कारों से अपना ध्यान बड़ी और ज्यादा प्रीमियम कारों पर लगाना शुरू कर दिया है।
5 साल में 65% बढ़े दाम (Budget Car)
आप इसी एक बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि पिछले 8 सालों के दौरान आम आदमी की बजट कार की परिभाषा कितनी तेजी से बदली है। 5 लाख से कम कीमत वाली एंट्री लेवल कारों का सेगमेंट मार्केट के सबसे सेंसिटिव हिस्सों में से एक है। जहां पिछले 5 सालों के दौरान एसयूवी और लग्जरी कारों की कीमतों में 24% जितना उछाल देखने को मिला है, वहीं 5 लाख से कम कीमत वाली कारों के दामों में लगभग 65% बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
इनकी हिस्सेदारी बढ़ी (Budget Car)
पिछले 8 सालों के दौरान 10 लाख और उससे ज्यादा कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी मार्केट में 12.5% बढ़ी है। जहां एक तरफ 5 लाख और 5 लाख से कम कीमत वाली कारों कि हिस्सेदारी मार्केट में कम हुई है, वहीं एक सेगमेंट ऐसा भी है जिसकी हिस्सेदारी मार्केट में काफी तेजी से बढ़ी है। हम 10 लाख और उससे ज्यादा कीमत वाली कारों के सेगमेंट की बात कर रहे हैं।