Khabarwala 24 News New Delhi : Baisakhi 2024 बैसाखी के पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और खास बनाती है। इस साल 13 अप्रैल 2024 को बैसाखी का पर्व मनाया जाएगा। लेकिन कहीं कहीं इसे 14 अप्रैल को ही मनाया जाता है। हर साल बैसाखी को बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। बैसाखी वसंत फसल पर्व है और सिख धर्म के लोग इसे नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन सिखों के अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और ‘पाठ’ जैसे मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं। इस दौरान गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं के लिए अमृत भी तैयार किया जाता है, जो बाद में सभी में बांटा जाता है।
खुशियों से भरता जीवन (Baisakhi 2024)
वहीं वैशाख महीने तक रबी की फसलें भी पक जाती हैं और कटाई शुरू हो जाती है। इसलिए इस दिन फसल में से अन्न का कुछ अंश अग्नि स्वरूप परमात्मा को अर्पित किया जाता है। पर्व बेहद धार्मिक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य की पूजा करने से वाहे गुरु की कृपा भी मिलती है और जीवन खुशियों से भरा रहता है।
सूर्य की पूजा का महत्व (Baisakhi 2024)
इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश होता है। इसलिए बैसाखी के दिन सूर्यदेव और लक्ष्मीनारायण की पूजा करना शुभ होता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। बैसाखी पर सूर्यदेव से जुड़े उपाय करने का भी खास महत्व है। इन उपायों को करने से कुंडली में सूर्य संबंधी शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं।
सत्तू का धार्मिक महत्व (Baisakhi 2024)
बिहार में बैसाखी को सतुआन कहा जाता है। इस दिन सत्तू खाने की परंपरा है। ज्योतिषीय दृष्टि से चने की सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल और गुरु से भी माना जाता है। कहा जाता है कि सूर्य के मेष राशि में आने पर सत्तू और गुड़ खाना चाहिए। इनका दान भी करना फलदायी होता है। ऐसा करने से सूर्य कृपा का लाभ प्राप्त होता है।
स्नान का बड़ा महत्व (Baisakhi 2024)
बैसाखी के पावन अवसर पर ककोलत जलप्रपात में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि बैसाखी पर इस जल में स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। इस दौरान मेले का आयोजन भी किया जाता है। बैसाखी पर सभी एक दूसरे को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं और खुशियां मनाते हैं।