Khabarwala24 News: सूरत (Surat) की सड़कों पर इन दिनों एक अनोखी बाइक चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका नाम है ‘गरुड़’—एक ऐसी इलेक्ट्रिक बाइक जो न केवल ड्राइवरलेस है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस है। इसके बड़े-चौड़े हबलेस व्हील, फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन और बिना आवाज़ के सड़क पर दौड़ने की खासियत इसे देखने वालों को हैरान कर देती है। यह बाइक किसी साइंस-फिक्शन फिल्म की गाड़ी जैसी लगती है, जो लोगों को ठिठक कर देखने पर मजबूर कर देती है। सूरत के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने मिलकर इस बाइक को बनाया है, जो न केवल तकनीक का कमाल है, बल्कि भविष्य की गतिशीलता का प्रतीक भी है।
‘गरुड़’ का अनोखा नाम और प्रेरणा
इस बाइक का नाम ‘गरुड़’ भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रेरित है, जो भगवान विष्णु की सवारी का प्रतीक है। इस प्रोजेक्ट के पीछे सूरत के मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट शिवम की अगुवाई है। शिवम बताते हैं कि बाइक्स और ऑटोमोबाइल्स के प्रति उनका जुनून उन्हें हमेशा कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता है। उनकी इच्छा थी कि वे ऐसी बाइक बनाएं जो अगले 10-15 सालों में भी प्रासंगिक रहे और आम लोगों की जरूरतों को पूरा कर सके। यही सोच उन्हें हबलेस ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक के कॉन्सेप्ट तक ले गई।
इस प्रोजेक्ट में शिवम के साथ उनके कॉलेज के दोस्त गुरप्रीत अरोड़ा और गणेश भी शामिल हैं। गुरप्रीत ने बाइक के डिज़ाइन पर काम किया, जबकि गणेश ने एडिटिंग और तकनीकी पहलुओं को संभाला। इस तिकड़ी ने मिलकर ‘गरुड़’ को एक ऐसा रूप दिया, जो न केवल देखने में आकर्षक है, बल्कि तकनीकी रूप से भी बेहद उन्नत है।
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बाइक का निर्माण: एक साल की मेहनत
शिवम, जो तीसरे साल के मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं, बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट उनके लिए बेहद खास रहा। इस बाइक को बनाने में उनकी टीम को लगभग एक साल का समय लगा। खास बात यह है कि इस बाइक में ज्यादातर पार्ट्स उनकी अपनी वर्कशॉप में तैयार किए गए हैं। कुछ जरूरी पार्ट्स जैसे टायर, अलॉय व्हील, इलेक्ट्रिक मोटर, और कंट्रोलर को बाजार से खरीदा गया।
बाइक के अगले हिस्से में हार्ले-डेविडसन का टायर और पिछले हिस्से में हायाबुसा बाइक का पुराना टायर इस्तेमाल किया गया है। शिवम ने बताया कि ये टायर सूरत के स्क्रैप मार्केट से खरीदे गए। बाइक के 70% पार्ट्स उनकी वर्कशॉप में तैयार किए गए, जिससे लागत को कम रखने में मदद मिली। इस तरह की इनोवेशन और रिसोर्सफुलनेस इस प्रोजेक्ट को और भी खास बनाती है।
‘गरुड़’ की खासियतें: फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन और AI तकनीक
‘गरुड़’ एक प्रोटोटाइप मॉडल है, लेकिन इसका डिज़ाइन और तकनीक इसे बाजार में उपलब्ध अन्य बाइक्स से अलग बनाती है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
1. हबलेस व्हील डिज़ाइन
‘गरुड़’ के बड़े-चौड़े हबलेस व्हील इसे एक अनोखा लुक देते हैं। हबलेस डिज़ाइन न केवल देखने में आकर्षक है, बल्कि बाइक को हल्का और गतिशील भी बनाता है। यह डिज़ाइन भविष्य की ऑटोमोबाइल तकनीक का प्रतीक है।
2. AI और सेंसर तकनीक
बाइक में 4 कैमरे और कई सेंसर लगाए गए हैं, जो इसके आसपास की स्थिति पर नजर रखते हैं। ये सेंसर सड़क की स्थिति, बाधाओं, और अन्य वाहनों को डिटेक्ट करते हैं। यह बाइक को रिमोटली और ऑटोनॉमसली चलाने में सक्षम बनाता है।
3. तीन ऑपरेटिंग मोड
‘गरुड़’ को तीन अलग-अलग मोड में चलाया जा सकता है:
मैनुअल मोड: पारंपरिक बाइक की तरह ड्राइवर द्वारा चलाई जा सकती है।
रिमोट मोड: रिमोट कंट्रोल के जरिए बाइक को कंट्रोल किया जा सकता है।
ऑटोनॉमस मोड: बिना ड्राइवर या रिमोट के बाइक खुद चल सकती है।
4. सुरक्षा फीचर्स
ऑटोनॉमस ड्राइविंग के दौरान सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। बाइक के सेंसर 12 फीट के दायरे में किसी व्यक्ति या वस्तु को डिटेक्ट करने पर स्पीड कम कर देते हैं। अगर कोई वस्तु 3 फीट के दायरे में आती है, तो बाइक ऑटोमेटिक ब्रेक लगाकर रुक जाती है। यह फीचर इसे सड़क पर सुरक्षित बनाता है।
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बैटरी और चार्जिंग: शानदार रेंज और सुविधा
‘गरुड़’ में 80hH की लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया गया है, जो दोनों पहियों के बीच फ्रेम में फिट की गई है। यह बैटरी सिंगल सीट डिज़ाइन के साथ प्रोटोटाइप के लिए उपयुक्त है। बैटरी को चार्ज करने के लिए दो विकल्प हैं:
फास्ट चार्जिंग: 2 घंटे में फुल चार्ज।
रेगुलर चार्जिंग: 4-5 घंटे में फुल चार्ज।
बैटरी को घरेलू सॉकेट से आसानी से चार्ज किया जा सकता है, जो इसे यूजर-फ्रेंडली बनाता है।
ड्राइविंग रेंज और स्पीड
‘गरुड़’ में दो राइडिंग मोड हैं:
इको मोड: इस मोड में बाइक 200-220 किलोमीटर की रेंज देती है, जो सिटी राइडिंग के लिए आदर्श है।
स्पोर्ट मोड: इस मोड में रेंज 150-160 किलोमीटर रहती है, क्योंकि पावर आउटपुट बढ़ जाता है।
स्पीड की बात करें तो प्रोटोटाइप मॉडल को अभी तक 70 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार पर टेस्ट किया गया है। भविष्य में हाई-कैपेसिटी मोटर का उपयोग कर इसकी स्पीड को 100-120 किलोमीटर/घंटा तक बढ़ाया जा सकता है।
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लागत: किफायती और लोकल इनोवेशन
शिवम और उनकी टीम ने इस बाइक को बनाने में लोकल पार्ट्स का अधिकतम उपयोग किया ताकि लागत को कम रखा जा सके। फिर भी, इस प्रोटोटाइप को तैयार करने में 1.80 लाख रुपये की लागत आई। यह राशि पार्ट्स की खरीद, असेंबलिंग, और एक साल की मेहनत को दर्शाती है। इस तरह की किफायती लागत इस प्रोजेक्ट को और भी प्रभावशाली बनाती है।
भविष्य की योजनाएं और संभावनाएं
शिवम और उनकी टीम का मानना है कि ‘गरुड़’ भविष्य की गतिशीलता का एक नमूना है। वे इसे और बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। भविष्य में हाई-कैपेसिटी मोटर और उन्नत AI तकनीक के साथ इसकी स्पीड और परफॉर्मेंस को बढ़ाया जाएगा। साथ ही, इसे कमर्शियल प्रोडक्शन के लिए तैयार करने की योजना है, ताकि आम लोग भी इस फ्यूचरिस्टिक बाइक का लाभ उठा सकें।
सूरत (Surat) का गर्व, ‘गरुड़’
‘गरुड़’ केवल एक बाइक नहीं, बल्कि सूरत के युवा इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की प्रतिभा और इनोवेशन का प्रतीक है। इस AI पावर्ड ड्राइवरलेस इलेक्ट्रिक बाइक ने न केवल तकनीकी क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि भारत के युवा भविष्य की तकनीक को आकार देने में सक्षम हैं। ‘गरुड़’ की उड़ान अभी शुरू हुई है, और यह भविष्य में और ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।
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