Khabarwala 24 News New Delhi : Artificial intelligence आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर नौकरीपेशा वाले लोगों में डर का माहौल है। उनको लग रहा है कि एआई आने से अपनी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। हालांकि, ऐसा नहीं है। आईबीएम इंडिया/साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल का कहना है कि एआई से जितनी नौकरियां खत्म होंगी, उससे अधिक पैदा होंगी। भारत में 46 प्रतिशत कंपनियां वर्तमान में स्वचालन और एआई उपकरणों के साथ मिलकर काम करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रही हैं।
इंटरनेट के आने से पहले ऐसा माहौल था (Artificial intelligence)
पटेल ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि एआई जितनी नौकरियां खत्म करता है, उससे कहीं अधिक पैदा करेगा। पूरी तरह से नई नौकरियों की कल्पना करते समय लोग आमतौर पर बहुत डर जाते हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट के आगमन के साथ समाचार पत्र मुद्रण जैसे कुछ क्षेत्रों में नौकरियों में गिरावट आई, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वेब डिज़ाइन, डेटा साइंस, डिजिटल मार्केटिंग और वेब प्रकाशन में लाखों नई नौकरियों का सृजन हुआ।
लोगों को ट्रेंड करना बड़ी चुनौती : पटेल (Artificial intelligence)
पटेल ने कहा कि अब सवाल यह है कि आप लोगों के एक विशाल समूह को कैसे ट्रेंड करेंगे? हर कोई कोडर या एआई डेवलपर वगैरह नहीं हो सकता। जैसे-जैसे ये प्रौद्योगिकियांं विकसित हो रही हैं, आपको इनके साथ काम करना सीखना होगा। आईटी और कौशल विकास राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार, एआई में भारत की प्रगति की कुंजी तकनीकी प्रतिभा है, न कि चिप-संचालित कंप्यूटिंग शक्ति।
AI प्रतिभा कहीं अधिक बुनियादी चुनौती (Artificial intelligence)
उन्होंने पिछले दिसंबर में एक कार्यक्रम में कहा था, एआई में प्रतिभा कहीं अधिक बुनियादी चुनौती है। हमें एआई में मास्टर्स और पीएचडी करने के लिए विश्वविद्यालयों की जरूरत है। प्रतिभा एक ऐसी चीज है, जो मुझे रातों में जगाए रखती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एआई से संबंधित नौकरियों के लिए प्रतिभा की भविष्य की पाइपलाइन को आकार देने के लिए तकनीकी उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों को विश्व स्तर पर सरकारों के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।