About Interim Bail आइए जानते हैं अरविंद केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत के बारे में, इसमें क्या कर सकते हैं और क्या नहीं

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Khabarwala 24 News New Delhi :About Interim Bail  दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है। उन्हें 01 जून तक अंतरिम जमानत दी गई है।

02 जून को उन्हें फिर सेरेंडर करना होगा। अंतरिम जमानत एक छोटी अवधि की जमानत होती है. कोर्ट इसे तब देता है जब रेगुलर बेल की एप्लीकेशन पर सुनवाई चल रही होती है। दरअसल जब कोई शख्स रेगुलर बेल या नियमित जमानत की एप्लीकेशन दायर करता है तो कोर्ट इस मामले में चार्जशीट या केस डायरी की मांग करता है जिससे आम जमानत पर फैसला लिया जा सके। आइए जानते हैं कि अंतरिम जमानत सामान्य जमानत से अलग कैसे होती है…

दस्तावेज पहुंचने की अवधि तक (About Interim Bail )

इस पूरी प्रकिया में वक्त लगता है. कोर्ट तक दस्तावेज पहुंचने की अवधि में उस शख्स को हिरासत में रहना पड़ता है। ऐसे में हिरासत में रहने वाला शख्स अंतरिम बेल की मांग कर सकता है जिससे कि वो शख्स उस अवधि तक जब तक कि दस्तावेज कोर्ट तक नहीं पहुंचते कस्टडी में रहने से राहत पा सके।

अंतरिम जमानत का प्रावधान (About Interim Bail )

इस तरह से अंतरिम जमानत छोटी अवधि की एक अस्थाई जमानत होती है। कोर्ट दस्तावेज मिलने के बाद आगे आम जमानत पर सुनवाई करता है। अंतरिम जमानत का प्रावधान इसलिए है कि दस्तावेजों में देरी की वजह से किसी शख्स को ज्यादा वक्त तक कस्टडी में न रहना पड़े।

हां ये शर्त के साथ होती है (About Interim Bail )

– हां, अंतरिम जमानत कई शर्तों के साथ हो सकती है। एक से ज्यादा बार बढ़ाई जा सकती है। अंतरिम जमानत की शर्तें इस हिसाब से तय की जाती हैं जिससे आरोपी मामले की जांच को प्रभावित न कर सके। अंतरिम जमानत देना न देना पूरी तरह से कोर्ट का फैसला होता है और कोर्ट नियमों के दायरे में रहकर फैसला लेता है।

क्या करेंगे, क्या नहीं कर सकेंगे (About Interim Bail )

– अंतरिम जमानत एक जून तक के लिए दी गई है। ऐसे में केजरीवाल चुनावों के लिए प्रचार कर सकेंगे। वोट डाल सकेंगे। वहीं अंतरिम जमानत पर बाहर होने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें कोई भी आधिकारिक कर्तव्य निभाने की अनुमति नहीं होंगी। मुख्यमंत्री के रूम में कामकाज नहीं कर सकेंगे।

जमानत कितनी तरह की होती है (About Interim Bail )

अग्रिम जमानत – इसे एंटीसिपेटरी बेल कहा जाता है. खासतौर पर यह उन आरोपियों को दी जाती है, जिन्हें आशंका होती है कि उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है। अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन किया जाता है।

अंतरिम जमानत – यदि किसी आरोपी ने जमानत के लिए आवेदन किया हुआ हो और इसकी सुनवाई हो रही हो तो उस दौरान उसको छोटी अवधि के लिए अंतरिम जमानत मिल सकती है। इसमें आरोपी को कम समय के लिए जेल से बाहर जाने की इजाजत मिलती है।

साधारण जमानत – साधारण जमानत भारत के हर नागरिक का अधिकार है। यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो वह साधारण जमानत के लिए न्यायालय में अपील कर सकता है। सीआरपीसी की धारा 437 के तहत न्यायालय ऐसे व्यक्ति को साधारण जमानत दे सकता है।

थाने से जमानत – यदि कोई व्यक्ति एक बार पुलिस थाने में गिरफ्तार हो करके आता है तो न्यायालय के अतिरिक्त थाने के पास भी जमानत देने का अधिकार होता है लेकिन ये जमानत केवल कुछ सामान्य केसों में होती है। मसलन – मारपीट, गाली-गलौज, धमकी देना जैसे छोटे और मामूली अपराध।

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