Khabarwala 24 News New Delhi : About Dwarka अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह धूमधाम से मनाया जा रहा है। देशभर में इन दिनों राम मंदिर की ही चर्चा है। राम के जैसे ही श्री कृष्ण भी विष्णुजी के अवतार थे। द्वापर युग में श्री कृष्ण ने द्वारिका नगरी बसाई थी। इस मौके पर हम आपको समुद्र में डूब गए इस नगर के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
माना जाता है कि मथुरा छोड़ने के बाद श्रीकृष्ण पश्चिम की ओर चले गए जहां उन्होंने एक नया नगर बसाया। इसे द्वारिका के नाम से जाना गया जोकि कालांतर में समुद्र में डूब गई। कुछ साल पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियनोग्राफी ने द्वारिका की खोज के लिए बड़ा अभियान चलाया था जिसमें समुद्र के अंदर से श्रीकृष्ण की इस नगरी के अनेक अवशेष भी प्राप्त हुए। अरब सागर में द्वारिका के ये अवशेष आज भी मौजूद हैं।
गुजरात के काठियावाड इलाके में (About Dwarka)
वर्तमान में द्वारिका गुजरात के काठियावाड इलाके में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है। शहर में अनेक द्वार यानि दरवाजे होने के कारण इसका नाम द्वारिका पड़ा था। शहर के आसपास कई लम्बी चहार दीवारें बनाई गई थीं जोकि आज भी समुद्र के अंदर दिखाई देती हैं। पुरानी द्वारिका समुद्र में करीब 300 फीट की गहराई में डूबी है और इसके अवशेष आज भी नजर आते हैं।
आर्कियोलॉजी विंग ने की रिसर्च (About Dwarka)
1963 में गुजरात सरकार ने ऐस्कवेशन डेक्कन कॉलेज पुणे के डिपार्टमेंट ऑफ़ आर्कियोलॉजी से समुद्र में डूबी द्वारिका के लिए सबसे पहले खोज प्रारंभ करवाई। इस खोजबीन में टीम को कई बर्तन मिले जोकि करीब 3 हजार साल पुराने र्थे। इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की टीम को भी समुद्र में ताम्बे के सिक्कों के साथ ग्रेनाइट के स्ट्रक्चर भी मिले थे। अंडर वॉटर आर्कियोलॉजी विंग ने यह रिसर्च की थी।
18 लोगों के साथ आए थे कृष्ण (About Dwarka)
कहा जाता है कि कृष्ण यहां कुल18 लोगों के साथ आए थे। यहां उन्होंने द्वारिका को बसाया और पूरे 36 साल तक राज किया। उनके प्राण त्याग देने के साथ ही द्वारिका नगरी भी समुद्र में डूब गई थी। समुद्र में डूबी इस द्वारिका के दर्शन कराने के लिए अब गुजरात सरकार पनडुब्बी के जरिए वहां तक ले जाने की योजना पर काम कर रही है। हजारों साल पहले समुद्र में डूब चुकी द्वारिका के दर्शन के लिए यात्री पनडुब्बी अरब सागर में जाएगी। द्वारिका से बेट द्वारका करीब 35 किमी दूर है जहां अभी बोट से आते-जाते हैं। सुदामा ने अपने मित्र श्रीकृष्ण से बेट द्वारिका में ही भेंट की थी।