नई दिल्ली, 7 सितंबर (khabarwala24)। कान हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो न सिर्फ सुनने में मदद करता है, बल्कि शरीर का संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। क्या आप जानते हैं कि कान से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं, जो आमतौर पर लोगों को नहीं पता?
इसके साथ ही आयुर्वेद में कान की देखभाल के लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं। आइए, जानते हैं कान के दुर्लभ तथ्यों, आयुर्वेदिक दृष्टिकोण और इसकी देखभाल के आसान तरीकों के बारे में।
कान सिर्फ सुनने तक सीमित नहीं है। इसके आंतरिक हिस्से में मौजूद वेस्टिब्युलर सिस्टम हमें संतुलित चलने-फिरने में मदद करता है। कान का वैक्स, जिसे अक्सर गंदगी समझा जाता है, वास्तव में धूल, बैक्टीरिया और कीड़ों से कान की सुरक्षा करता है। उम्र बढ़ने के साथ कान और नाक का आकार धीरे-धीरे बढ़ता रहता है।
इसके अलावा, जबड़े की समस्याएं कान दर्द या सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। कान बंद होने का कारण हमेशा संक्रमण नहीं होता, यह कई बार साइनस, ब्लड प्रेशर या तनाव के कारण भी हो सकता है।
आयुर्वेद में कान को श्रवण इंद्रिय कहा जाता है, जो पांच ज्ञानेंद्रियों में से एक है और इसका संबंध आकाश महाभूत से है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, वात दोष के असंतुलन से कानों में समस्याएं जैसे कर्णशूल (कान दर्द), कर्णनाद (कानों में आवाज आना), कर्णक्षवथु (मैल जमना) और बधिर्य (बहरापन) हो सकती हैं। इन समस्याओं का उपचार आयुर्वेद में प्राकृतिक और सरल तरीकों से किया जाता है।
कान की सेहत के लिए कुछ आसान घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। गुनगुने तिल के तेल की 1-2 बूंदें कान में डालने से सूखापन, दर्द और टिनिटस में राहत मिलती है। लहसुन को सरसों या नारियल तेल में गर्म कर छान लें और इसकी 1-2 बूंदें कान में डालने से दर्द और संक्रमण कम होता है।
तुलसी के पत्तों का रस फंगल संक्रमण को दूर करता है, जबकि अदरक का रस कान के आसपास लगाने से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। गर्म पानी की बोतल या तौलिया से सेंकने से भी कान दर्द में राहत मिलती है।
कान की देखभाल के लिए कुछ सावधानियां जरूरी हैं। तेज आवाज में संगीत या ईयरफोन का उपयोग न करें। नुकीली चीजों जैसे पिन या माचिस से कान साफ करने से बचें। नहाने या तैरने के बाद कान को अच्छी तरह सुखाएं। ज्यादा देर तक ईयरफोन का इस्तेमाल न करें और तनाव कम करने के लिए प्राणायाम करें।
विटामिन ए, सी और ई से भरपूर आहार जैसे गाजर, पालक, टमाटर, आंवला और संतरा लें। अखरोट, बादाम, तुलसी, अदरक और हल्दी को अपने भोजन में शामिल करें, जो कान की कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं।
समझना जरूरी है कि कान न सिर्फ हमारी सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आयुर्वेदिक उपायों और सावधानियों के साथ कान की देखभाल कर हम समस्याओं से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
डीसीएच/एबीएम
Source : IANS
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