Khabarwala 24 News Lucknow: Jobs अब अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियों के लिए सिर्फ नोएडा और गाजियाबाद ही नहीं, बल्कि टियर-2 शहर भी नई मंजिल बनेंगे। लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर को बड़े पैमाने पर रोजगार का नया हब बनाने की तैयारी चल रही है। इसका सीधा असर 50 हजार रुपये महीने से ज्यादा वेतन वाली नौकरियों पर पड़ेगा, जो अब छोटे शहरों में भी मिलनी शुरू होंगी।
लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर क्यों है खास?
लखनऊ और कानपुर, उत्तर प्रदेश के दो बड़े शहर हैं, जिनके बीच तेजी से इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर का विस्तार हो रहा है। हाईवे, मेट्रो, लॉजिस्टिक्स पार्क और नए इंडस्ट्रियल एरिया के साथ यह कॉरिडोर निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग, ई-कॉमर्स सप्लाई चेन और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर यहां तेजी से पंख फैला रहे हैं।
बड़े पैकेज वाली नौकरियां अब टियर-2 शहरों में
कभी 50 हजार से ज्यादा वेतन वाली नौकरियां सिर्फ NCR जैसे क्षेत्रों तक सीमित मानी जाती थीं। लेकिन अब कंपनियां ऑपरेशनल लागत कम करने और टैलेंट बेस बढ़ाने के लिए टियर-2 शहरों में आ रही हैं। लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर में ऑफिस स्पेस सस्ता है, बिजली-पानी और कनेक्टिविटी बेहतर होती जा रही है, और यहां अच्छा स्किल्ड टैलेंट भी मिल रहा है। यही वजह है कि हाई-सैलरी जॉब्स का मूवमेंट इन शहरों की तरफ हो रहा है।
किन सेक्टर्स में ज्यादा मौके?
आईटी और सॉफ्टवेयर सर्विसेज: बीपीओ, केपीओ, ऐप डेवलपमेंट, क्लाउड और साइबर सिक्योरिटी जैसी प्रोफाइल्स की मांग बढ़ेगी।
मैन्युफैक्चरिंग: इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट, मेडिकल डिवाइसेज और पैकेजिंग यूनिट्स नए निवेश के साथ विस्तार कर रहे हैं।
लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स: वेयरहाउसिंग, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, हब ऑपरेशंस में बड़ी भरतियां होंगी।
हेल्थकेयर और एडटेक: अस्पताल, डायग्नोस्टिक चेन और ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स को स्किल्ड स्टाफ की जरूरत पड़ेगी।
बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज: माइक्रोफाइनेंस, फिनटेक और इंश्योरेंस कंपनियां बड़े स्तर पर टीम बना रही हैं।
सरकारी पहल और इंफ्रास्ट्रक्चर से तेज़ी
सरकार की फोकस्ड पॉलिसी, इंडस्ट्रियल पार्क्स, स्टार्टअप को बढ़ावा और सिंगल विंडो क्लीयरेंस जैसी पहल से निवेशक भरोसा बढ़ रहा है। लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की कनेक्टिविटी और एयरपोर्ट अपग्रेडेशन से कारोबार को गति मिल रही है। इससे कंपनियों के लिए संचालन आसान होगा और नौकरी के मौके अपने आप बनेंगे।
युवाओं के लिए क्या मौका?
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा स्थानीय युवाओं को मिलेगा। अब अच्छे पैकेज के लिए बड़े शहरों की तरफ पलायन कम होगा। इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आईटी, डिप्लोमा और हेल्थकेयर की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए प्लेसमेंट के विकल्प बढ़ेंगे। साथ ही, स्किल डेवलपमेंट पर फोकस के साथ ट्रेनिंग प्रोग्राम्स भी बढ़ेंगे, जिससे रोजगार पाने में आसानी रहेगी।
कंपनियां क्यों शिफ्ट कर रही हैं फोकस?
टियर-2 शहरों में ऑपरेशन लागत कम होती है। रेंट, सैलरी स्ट्रक्चर और लोकल सप्लाई चेन का फायदा कंपनियों को मिलता है। साथ ही, बेहतर कनेक्टिविटी, बढ़ते शहरीकरण और सरकार की सपोर्टिव पॉलिसीज़ की वजह से यहां काम शुरू करना फायदेमंद साबित हो रहा है। इससे कंपनियां स्थायी और लंबी अवधि की नौकरियां पैदा कर पा रही हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बूस्ट
जब हाई-पेइंग जॉब्स टियर-2 शहरों में आएंगी, तो रियल एस्टेट, ट्रांसपोर्ट, रिटेल, फूड और सर्विस सेक्टर को भी फायदा होगा। छोटे बिजनेस, स्टार्टअप्स और प्रोफेशनल सर्विसेज (जैसे कंसल्टेंसी, एकाउंटिंग, लीगल) की मांग बढ़ेगी। इससे शहरों की कुल अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और जीवन स्तर में सुधार आएगा।
आगे की राह: स्किल और कनेक्टिविटी पर फोकस
अगले कुछ सालों में लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर न केवल उत्तर प्रदेश का, बल्कि उत्तर भारत का बड़ा रोजगार केंद्र बन सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी है इंडस्ट्री-एकेडेमिया पार्टनरशिप, मॉडर्न स्किल्स (डाटा एनालिटिक्स, एआई, ऑटोमेशन), और मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर। अगर ये चीजें सही दिशा में बढ़ीं, तो 50 हजार रुपये से ऊपर की सैलरी वाली नौकरियों की संख्या और तेजी से बढ़ेगी।
निष्कर्ष: नौकरी की तलाश अब घर के पास
कुल मिलाकर, लखनऊ-कानपुर कॉरिडोर टियर-2 शहरों में करियर तलाश रहे युवाओं के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आ रहा है। अब अच्छी सैलरी और अच्छी लाइफ क्वालिटी, दोनों साथ मिल सकती हैं। आने वाले समय में ये कॉरिडोर रोजगार का नया पॉवरहाउस बनकर उभरेगा, जहां सिर्फ नौकरी नहीं, बेहतर करियर की राह भी खुलेगी।
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