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Jagannath Rath Yatra 2025: स्नान के बाद क्या भगवान होते है बीमार, भक्ति और उत्सव का अनोखा संगम

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Khabarwala 24 News Jagannath Rath Yatra 2025 : जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल की तरह इस बार भी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को धूमधाम से निकाली जाएगी। पुरी, ओडिशा का श्रीजगन्नाथ धाम एक बार फिर भक्ति के रंग में रंग चुका है। ये यात्रा न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी खास है। लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से पुरी पहुंचकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ खींचने और उनके दर्शन का सौभाग्य पाते हैं।

वहीं आज यानी ज्येष्ठ माह की पूर्मिणा तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) को स्नान कराया जाएगा। इसके बाद से भगवान जगन्नाथ 15 दिनों के लिए बीमार होने के बाद एकांतवास में चले जाते हैं। इस अवधि में भक्तगण भगवान के दर्शन नहीं कर सकते हैं, इसके बाद जब प्रभु ठीक होते हैं, तब जगन्नाथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) शुरू होती है।

Jagannath Rath Yatra रथ यात्रा का धार्मिक महत्व 

जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) का माहौल ऐसा होता है कि बस दिल भक्ति में डूब जाता है। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विशाल रथों पर सवार होकर श्रीमंदिर से गुंडिचा मंदिर की यात्रा करते हैं। ये रथ इतने भव्य होते हैं कि देखकर ही मन में श्रद्धा जाग उठती है। इस दौरान पुरी का माहौल किसी मेले जैसा हो जाता है, जहां भक्ति के साथ-साथ उत्सव का मज़ा भी मिलता है।

Jagannath rath yatra
Jagannath rath yatra

कब शुरू होती है रथ बनाने की प्रक्रिया? 

Jagannath Rath Yatra की तैयारी तो भाई, साल भर पहले शुरू हो जाती है। वसंत पंचमी के शुभ दिन पर रथ के लिए लकड़ी की कटाई होती है, और मकर संक्रांति से रथ बनाना शुरू हो जाता है। ये रथ कोई आम रथ नहीं, बल्कि खास तरह की लकड़ियों और पारंपरिक तरीके से बनाए जाते हैं। इन रथों को देखकर ही कारीगरी का कमाल समझ आता है। हर रथ को सजाने में महीनों की मेहनत लगती है, और ये सब भगवान के लिए प्यार और श्रद्धा से किया जाता है।

स्नान यात्रा: 108 कलशों का अनुष्ठान  (Jagannath Rath Yatra 2025)

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को मंदिर से बाहर लाया जाता है। फिर शुरू होता है स्नान यात्रा या स्नान पूर्णिमा का भव्य आयोजन। इस दिन 108 कलशों में चंदन, गुलाब जल, घी, दही और तीर्थों का जल मिलाकर भगवानों को स्नान कराया जाता है। सुभद्रा जी का स्नान खास विधि से होता है, और फिर उन्हें राजसी वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है। ये नजारा इतना मनमोहक होता है कि बस देखते ही बनता है।

अनासर काल जब भगवान ‘बीमार’ पड़ते हैं  

अब ये सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) 15 दिन के लिए ‘बीमार’ हो जाते हैं। इस समय को अनासर काल कहते हैं। पुराणों में बताया गया है कि एक बार भगवान के भक्त माधव दास बीमार पड़ गए थे। तब भगवान ने उनकी पीड़ा अपने ऊपर ले ली। तभी से ये परंपरा चली आ रही है। इस दौरान भगवान एकांत में रहते हैं, और उनकी मूर्तियों की जगह चित्रों की पूजा होती है। इस समय भगवान जगन्नाथ को विष्णु, बलभद्र को शिव और सुभद्रा को आदिशक्ति के रूप में पूजा जाता है।

Jagannath rath yatra 2024
Jagannath rath yatra 2024

अनासर पूजा की खासियत

अनासर काल (Anasara Kala) में मंदिर में नियमित आरती, स्नान, दंतधौती, दीप सज्जा और वस्त्र पूजा होती है। लेकिन भगवान की मूर्तियों की जगह उनके चित्रों की पूजा की जाती है। ये समय भक्तों के लिए भी खास होता है, क्योंकि इस दौरान भगवान की सेवा का अलग ही महत्व है। भक्तों का मानना है कि इस समय की गई पूजा से भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।

फुलुरी तेल और अनासर पंचमी

अनासर पंचमी के दिन भगवानों को फुलुरी तेल लगाया जाता है। ये तेल जड़ी-बूटियों, फूलों, कपूर, चंदन और तिल के तेल से बनता है। इसे हेरा पंचमी के दिन तैयार करके जमीन के नीचे रखा जाता है। ये तेल भगवानों के ‘बुखार’ को शांत करता है और उन्हें स्वस्थ करने में मदद करता है। ये परंपरा इतनी अनोखी है कि सुनकर ही मन में श्रद्धा बढ़ जाती है।

नव जौबाना दर्शन: भगवान का युवा रूप

जब भगवान स्वस्थ हो जाते हैं, तब होता है नव जौबाना दर्शन। यानी भगवान के युवा रूप का पहला दर्शन। इस दिन भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। अगले दिन से शुरू होती है भव्य रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra), जहां लाखों लोग रथ खींचने का सौभाग्य पाते हैं। ये नजारा देखकर लगता है कि जैसे पूरी दुनिया भगवान के रंग में रंग गई हो।

क्यों खास है जगन्नाथ रथ यात्रा?

Jagannath Rath Yatra सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का अनोखा संगम है। ये यात्रा हर साल करोड़ों लोगों को भगवान के करीब लाती है। चाहे आप पुरी में हों या कहीं और, इस यात्रा की बात सुनकर ही मन में भक्ति जाग उठती है। तो इस बार अगर मौका मिले, तो पुरी जरूर जाइए और भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य कीजिए।

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