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Mahashivratri 2024 : चार धामों में से एकमात्र रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, स्वयं भगवान श्रीराम ने की स्थापना, श्रीलंका के राजा ने बनवाया गर्भगृह

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Khabarwala 24 News New Delhi : Mahashivratri 2024 Rameshwar Jyotirlinga दक्षिण भारत में कईं प्राचीन मंदिर हैं, इन्हीं में से एक है तमिलनाडु का रामेश्वर ज्योतिर्लिंग। मंदिर का वर्णन शिवपुराण सहित अनेक ग्रंथों में मिलता है। इसका 12 ज्योतिर्लिंगों में से 11वां स्थान है। माना जाता है इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में की थी। साथ ही ये हिंदुओं के प्रमुख चार धामों में से भी एक है, इसलिए इसका विशेष महत्व माना जाता है। तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में धनुषकोडि नामक स्थान पर है। शिवपुराण के अनुसार जो मनुष्य गंगाजल से इस शिवलिंग का अभिषेक करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में आज भी कईं प्राचीन परंपराओं का पालन किया जाता है। महाशिवरात्रि (8 मार्च, शुक्रवार) के मौके पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

त्रेतायुग में इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना (Mahashivratri 2024)

शिवपुराण के अनुसार, त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। राक्षसों के राजा रावण ने आतंक फैला रखा था। रावण ने श्रीराम की पत्नी सीता का हरण कर लिया और अपने साथ लंका ले गया। जब श्रीराम सीता की खोज में दक्षिण समुद्र तक पहुंचें तो वहां उन्होंने वानरों की सहायता एक पुल का निर्माण किया। श्रीराम ने इसी स्थान पर बालू से शिवलिंग की स्थापना और पूजा की। श्रीराम द्वारा स्थापित होने के कारण ही ये ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शिल्पकला का एक सुंदर उदाहरण (Mahashivratri 2024)

रामेश्वरम् मंदिर भारतीय निर्माण-कला और शिल्पकला का एक सुंदर उदाहरण है। मंदिर का प्रवेश-द्वार लगभग चालीस फीट ऊंचा है। मंदिर परिसर में अनेक विशाल खंभें है, जिन पर काफी आकषर्षक नक्काशी की गई है। मंदिर के दोनों ओर 5 फुट ऊंचा और करीब 8 फुट चौड़ा चबूतरा बना हुआ है, जहां पत्थर से बने खंभों की लंबी कतारें दिखाई देती हैं। खंभों पर की गई कारीगरी देखकर हर कोई दंग रह जाता है।

मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण (Mahashivratri 2024)

रामेश्वर मंदिर में जो ताम्रपट है, उससे पता चलता है कि 1179 ईस्वी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने मूल लिंग वाले गर्भगृह का निर्माण करवाया था। पंद्रहवीं शताब्दी में राजा उडैयान सेतुपति ने 78 फीट ऊंचे गोपुरम का निर्माण करवाया। 16वीं शताब्दी में मंदिर की दीवार बनवाई गई। 17वीं और 18 वीं शताब्दी में इस मंदिर के गोपुरम और शयन-गृह का निर्माण करवाया। मंदिर में विशालाक्षी के गर्भ-गृह के निकट ही 9 ज्योतिर्लिंग हैं, मान्यता है कि इनकी स्थापना लंकापति विभीषण ने की थी।

प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेन सुविधा (Mahashivratri 2024)

रामेश्वरम के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेन सुविधा उपलब्ध है। अगर आपके शहर से यहां के लिए सीधी ट्रेन नहीं है, तो आपको पहले मदुरई आना होगा। यहां से आप रामेश्वरम ट्रेन से आसानी से जा सकते है। रामेश्वरम देशभर के सड़क मार्गों से अच्छी तरह से कनेक्ट हैं। स्वयं को वाहन या टैक्सी से भी आप यहां आ सकते हैं। रामेश्वरम से सबसे निकट हवाई अड्डा मदुरई में है, जो यहां से लगभग 170 किमी है। मदुराई से बस, टैक्सी, ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है।

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